School Reopen : सुनील कुमार झा, रांची : राज्य में आठवीं बोर्ड में पास लगभग 92 हजार विद्यार्थियों ने इस वर्ष स्कूल छोड़ दिया है. यह आठवीं पास बच्चों की कुल संख्या का करीब 19 प्रतिशत है. इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं, लेकिन इससे राज्य में मैट्रिक और इंटर में परीक्षार्थियों की संख्या नहीं बढ़ रही है. यह विभाग के लिए चिंताजनक है. माध्यमिक कक्षाओं में ड्राॅप आउट कम करने का प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा.
वर्ष 2020 में आठवीं की बोर्ड परीक्षा में 5,03,862 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने जून में इसका रिजल्ट जारी किया, जिसमें 4,61,513 विद्यार्थी कक्षा नौ में प्रमोट किये गये. बाद में 20 फीसदी ग्रेस मार्क्स देकर और 40813 विद्यार्थियों को नौवीं में प्रमोट किया गया. इस तरह कुल 5,02,326 विद्यार्थी नौवीं में प्रमोट हो गये.
इधर, जैक ने इस वर्ष अक्तूबर-नवंबर में वर्ष 2021 की नौवीं की बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीयन शुरू किया. इसके लिए लगभग 4,10,000 विद्यार्थियों ने ही पंजीयन कराया. यानी चार महीने में ही आठवीं पास 92 हजार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया या नौवीं बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीयन नहीं कराया.
इस वर्ष नौवीं में 53 हजार परीक्षार्थी हुए कम : वर्ष 2019 में आठवीं की बोर्ड परीक्षा में कुल 4,89,852 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इनमें से 4,70,319 विद्यार्थी कक्षा नौ में प्रमोट हुए थे, लेकिन 2020 की कक्षा नौ की बोर्ड परीक्षा में 4,17,030 परीक्षार्थी शामिल हुए. यानी वर्ष 2020 में आठवीं पास 53 हजार विद्यार्थी नौवीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं हुए. यह आंकड़ा कुल सफल परीक्षार्थियों का करीब 12 फीसदी है.
ऐसे कम होते गये विद्यार्थी
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वर्ष 2019- बच्चे पास हुए थे आठवीं की बाेर्ड में
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बच्चे पास हुए थे आठवीं की बाेर्ड में- 4,70,319
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वर्ष 2020 – 4,17,030 बच्चे ही शामिल हुए नौवीं की बोर्ड में
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53,289 विद्यार्थी कम हुए
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वर्ष 2020- 5,02,326 बच्चे पास हुए थे आठवीं की बाेर्ड में
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वर्ष 2021 – 4,10,000 बच्चे ही पंजीकृत हुए नौवीं की बोर्ड में 92,326 विद्यार्थी कम हुए
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आठवीं पास करीब 19% विद्यार्थियों ने नौवीं में नहीं कराया पंजीयन
बच्चों को ट्रैक करना भी था बोर्ड परीक्षा का उद्देश्य : आठवीं की बोर्ड परीक्षा 2018 में शुरू हुई थी. इसका एक उद्देश्य आठवीं पास करनेवाले विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के लिए ट्रैक करना भी था. हालांकि, परीक्षा शुरू होने के तीन वर्ष बाद भी इसे लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.
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मध्य विद्यालय की तुलना में उच्च विद्यालयों की संख्या कम होना भी एक कारण हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि कुछ विद्यार्थी आगे की पढ़ाई दूसरे बोर्ड से करते हों. आठवीं पास करनेवाले इतनी अधिक संख्या में विद्यार्थी नौवीं की परीक्षा में क्यों शामिल नहीं हो रहे, इसकी समीक्षा की जायेगी.
राहुल शर्मा, सचिव, स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग
Posted by: Pritish Sahay