रांची : केंद्र सरकार ने झारखंड के लिए कोयला लीज क्षेत्र का दायरा बढ़ा दिया है. पहले किसी भी लीज धारक को 10 वर्ग किमी तक ही खनन का अधिकार मिलता था, जो अब बढ़ा कर 75 वर्ग किमी कर दिया गया है. कोयला मंत्रालय ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है. साथ ही इसकी जानकारी झारखंड के मुख्य सचिव को भी दी है. केंद्र सरकार ने यह बदलाव कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किया है. केंद्र सरकार का मानना है कि कई निजी कंपनियां भी कोयला खनन में निवेश कर रही हैं, जो देश के लिए लाभकारी है.
कोयला मंत्रालय के अनुसार, पूर्व में खनन करनेवाली कई कंपनियों ने 10 वर्ग किमी का दायरा बढ़ाने का आग्रह किया था. एक साथ दो-दो कंपनियों के खनन करने से क्षेत्र को लेकर परेशानी हो रही थी. ऐसा नहीं होने से कई तरह की क्लियरेंस लेने में कंपनियों को परेशानी होती थी. उक्त बदलाव के बाद अगर झारखंड में कोई भी कंपनी झारखंड में कोयला खदान लेना चाहती है, तो वह अधिकतम 75 वर्ग किमी तक लीज प्राप्त कर सकती है. यह सुविधा माइंस एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट-1957 के तहत लीज लेनेवालों को मिलेगी.प्रोस्पेक्टिंग लीज का भी दायरा 75 वर्ग किमी हो गया. भारत सरकार दो तरह का लीज देती है. एक प्रोस्पेक्टिंग लीज होती है, जिसका दायरा 25 वर्ग किमी होता. इसमें खनन की संभावना देखी जाती है. वहीं, दूसरी माइनिंग लीज होती है, जिसका दायरा 10 वर्ग किमी निर्धारित था. केंद्र सरकार ने उक्त दोनों ही तरह की लीज का दायरा बढ़ा कर 75 वर्ग किमी कर दिया है.
कई निजी कंपनियों ने ली है लीज
झारखंड में कई निजी कंपनियों ने खनन के लिए कोयला खदान लीज पर ली है. भारत सरकार ने निजी कंपनियों के लिए कोयला खनन का काम शुरू कर दिया है. झारखंड में भी इसके लिए दर्जनों कोल ब्लॉक चिह्नित किये गये हैं. इसमें कई ऐसी कंपनियां भी हैं, जिन्होंने दो से अधिक कोल ब्लॉक लिये हैं. ऐसी कंपनियों को 10 वर्ग किमी दायरे में खनन कार्य में परेशानी हो रही थी. इसको देखते हुए भारत सरकार ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया है.