PTPS Scam News : 1177 करोड़ का स्क्रैप 259 करोड़ में बेचा

एनटीपीसी और जेबीवीएनएल के ज्वाइंट वेंचर के पूर्व से चल रहे पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) के स्क्रैप की नीलामी में अनियमितता का आरोप लगा था. इसकी जांच पिछले चार साल से चल रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 16, 2024 1:10 AM

सुनील चौधरी (रांची). एनटीपीसी और जेबीवीएनएल के ज्वाइंट वेंचर के पूर्व से चल रहे पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) के स्क्रैप की नीलामी में अनियमितता का आरोप लगा था. इसकी जांच पिछले चार साल से चल रही है. आरोप है कि 1177 करोड़ की परिसंपत्ति का मूल्यांकन जानबूझ कर कम किया गया और इसके उपकरणों की नीलामी कम दर पर 259 करोड़ रुपये में की गयी.

यह है मामला :

रांची जिला के पुंदाग निवासी अजय दुबे ने 24 अगस्त 2020 को तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले में घालमेल का आरोप लगाते हुए जांच का आग्रह किया था. उन्होंने लिखा था कि एक मार्च 2018 के समझौते के तहत पीटीपीएस को एनटीपीसी को ज्वाइंट वेंचर के तहत सौंप दिया गया. पीटीपीएस सौंपने के लिए बनी ज्वाइंट वेंचर कंपनी में एनटीपीसी, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल), झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जेयूवीएनएल), झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड शामिल हैं. उक्त संयुक्त उद्यम ने पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड नामक एक कंपनी बनायी, जो संयुक्त उद्यम की एक सहायक कंपनी है. जिन कंपनियों के बीच जो संयुक्त उद्यम स्थापित किया गया था, उसमें संपूर्ण प्लांट मशीनरी व भूमि की कुल लागत 727.93 करोड़ रुपये से नव स्थापित कंपनी को हस्तांतरित कर दी गयी थी. शिकायतकर्ता का आरोप है कि वर्ष 2018 में पीटीपीएस का मूल्यांकन कराया गया था, जो कि 1177 करोड़ का था. पर ज्वाइंट वेंचर कंपनी द्वारा मेकन से मूल्यांकन कराया गया, जिसे घटाकर 259 करोड़ रुपये कर दिया गया था. इसी कीमत पर ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने मशीन-उपकरणों की नीलामी कराकर एक निजी कंपनी एमटीसी लिमिटेड को बेच दी. शिकायतकर्ता का आरोप है कि एक कंपनी जिसका वर्ष 2018 में मूल्य 1177 करोड़ रुपये था, फिर इसे घटाकर केवल 259 करोड़ रुपये कैसे कर दिया गया? उनका आरोप है कि पूरी नीलामी में ही बहुत सारी अनियमितताएं हैं और लाभार्थी एक निजी लिमिटेड कंपनी है. यह भी आरोप है कि दो वर्ष पूर्व ही पीटीपीएस के आधुनिकीकरण के लिए राज्य सरकार ने 1177.93 करोड़ रुपये निवेश किया था. करोड़ों रुपये का निवेश करने के दो साल बाद ही कंपनी को 259.23 करोड़ रुपये के मामूली दाम पर बेचा गया. शिकायतकर्ता ने पूरे मामले में मिलीभगत का आरोप लगाया है.

कमेटी के अध्यक्ष हो चुके हैं सेवानिवृत्त, एक सदस्य की मौत

शिकायत के आलोक में तत्कालीन मुख्य सचिव ने मामले की जांच का निर्देश ऊर्जा विभाग को दिया था. ऊर्जा विभाग द्वारा चार सदस्यीय कमेटी गठित की गयी. कमेटी के अध्यक्ष विभाग के संयुक्त सचिव अंजनी कुमार दुबे बनाये गये. जेबीवीएनएल से जीएम ऋषि नंदन, ऊर्जा विभाग के मुख्य अभियंता विजय कुमार व पीटीपीएस के तत्कालीन प्रोजेक्ट मैनेजर एमपी यादव को सदस्य बनाया गया. जांच चल ही रही थी कि इसी वर्ष 30 अप्रैल को अध्यक्ष श्री दुबे सेवानिवृत्त हो गये. वहीं, एक सदस्य ऋषिनंदन की मृत्यु हो चुकी है. फिलहाल जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है.

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