झारखंड प्रशासनिक सेवा के अनुमंडल पदाधिकारी से अपर समाहर्ता में प्रोन्नत होनेवाले 60 प्रतिशत अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें किसी न किसी मामले में दंडित किया गया है. 40 प्रतिशत अधिकारी ही ऐसे हैं, जिनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है. इससे राज्य में भ्रष्टाचार की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है. प्रोन्नत होनेवाले 89 प्रतिशत अधिकारी जेपीएससी नियुक्ति घोटाले में चल रही सीबीआइ जांच के दायरे में शामिल हैं.
दर्जन भर अधिकारियों ने तो सिर्फ प्रोन्नति पाने के लिए संपत्ति का ब्योरा देने में खानापूर्ति की है. प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए सिर्फ प्रोन्नति के लिए संपत्ति का ब्योरा देनेवालों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की है.
राज्य प्रशासनिक सेवा के अनुमंडल पदाधिकारी स्तर से अपर समाहर्ता स्तर में प्रोन्नति देने के लिए प्रोन्नति समिति की बैठक में कुल 87 अधिकारियों की सूची पेश की गयी थी. प्रोन्नति समिति ने कोर्ट के आदेशों और सरकार द्वारा प्रोन्नति के लिए निर्धारित शर्तों के आधार पर विचार करने के बाद 23 अधिकारियों को प्रोन्नति के योग्य नहीं माना.
समिति ने इन अधिकारियों के खिलाफ सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई के प्रभावों, संपत्ति ब्योरा नहीं देने सहित अन्य कारणों से प्रोन्नति के योग्य नहीं माना. शेष 64 अधिकारियों के प्रोन्नति देने पर समिति ने अपनी सहमति दी. इसके बाद सरकार ने 64 अधिकारियों को फरवरी 2023 में प्रोन्नति दी.
समिति की अनुशंसा के आलोक में प्रोन्नत किये जानेवाले 64 अधिकारियों में से 57 अधिकारी जेपीएससी नियुक्ति घोटाले की जांच के दायरे में हैं. सीबीआइ जांच के दायरे में शामिल 57 में से 11 अधिकारी जेपीसीएसी-1 और 46 अधिकारी जेपीएससी-2 से संबंधित हैं. अपर समाहर्ता में प्रोन्नत सात अधिकारी ही ऐसे हैं, जो जेपीएससी नियुक्ति घोटाले के दायरे में शामिल नहीं है. हालांकि, इन सातों अधिकारियों को सरकार विभिन्न प्रकार के आरोपों में दंडित कर चुकी है.