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झारखंड में न्यायालयों की सुरक्षा भगवान भरोसे, नहीं हो रहा है सुरक्षा ऑडिट, CCTV भी खराब

झारखंड में हर माह न्यायालय की सुरक्षा का ऑडिट करने का निर्देश है, ताकि सुरक्षा में कोई कमी पाये जाने पर उसे सुधारा जा सके. लेकिन पुलिस अधिकारी मासिक सुरक्षा ऑडिट नहीं कर रहे हैं.

Jharkhand News: राज्य में हाल में ही देवघर कोर्ट परिसर के बाहर पेशी के लिए आये कैदी की हत्या व धनबाद में जज की हत्या के बाद न्यायालय और न्यायाधीशों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे. लेकिन न्यायालय में सुरक्षा की जो वर्तमान व्यवस्था है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि न्यायालयों की सुरक्षा भगवान भरोसे है. राज्य के विभिन्न न्यायालयों में लगे सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. कहीं डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) खराब है, तो कहीं सीसीटीवी कैमरे लगे ही नहीं हैं.

हर माह न्यायालय की सुरक्षा का ऑडिट करने का निर्देश है, ताकि सुरक्षा में कोई कमी पाये जाने पर उसे सुधारा जा सके. लेकिन पुलिस अधिकारी मासिक सुरक्षा ऑडिट नहीं कर रहे हैं. रांची जिला में हाइकोर्ट की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. लेकिन वहां दूसरे जिलों के कितने पुलिस जवान तैनात हैं, इसका ब्योरा पुलिस अधिकारियों के पास नहीं है. उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में कोर्ट परिसर में कई आपराधिक घटनाएं हुई हैं, जिससे इनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं.

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देवघर सिविल कोर्ट

यहां कोर्ट परिसर में सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए चौकीदार और होमगार्ड की तैनाती कर दी जाती है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से उचित नहीं है. यहां चेकिंग का काम पहले सिर्फ मुख्य गेट पर होता था. लेकिन हत्या की घटना के बाद पुलिस की नींद खुली और अब सभी गेट पर चेकिंग का काम होने लगा है. संताल परगना के देवघर, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, जामताड़ा और गोड्डा में पुलिस अधिकारी दो माह में सुरक्षा ऑडिट करते हैं. जामताड़ा में लगा एक डीएफएमडी खराब है. जबकि गोड्डा और साहिबगंज में डीएफएमडी नहीं लगाया गया है. संताल परगना में गोड्डा को छोड़कर किसी भी जिला के न्यायालय में सीसीटीवी नहीं लगा है.

जमशेदपुर, सरायकेला व चाईबासा सिविल कोर्ट

न्यायालय परिसर की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपकरण एचएचएमडी, डीएफएमडी और सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. जमशेदपुर में दोनों अन्य जिलों की तुलना में सुरक्षा उपकरण अधिक हैं. लेकिन चार डीएफएमडी खराब पड़े हैं.

हजारीबाग सिविल कोर्ट

हजारीबाग जिला में पर्याप्त सीसीटीवी और डीएफएमडी स्कैनर मशीन नहीं हैं. गिरिडीह में पर्याप्त सीसीटीवी के अलावा डीएफएमडी, गार्ड रूम के अलावा सुरक्षा के लिए मोर्चा नहीं है. इस तरह से कोडरमा, चतरा और रामगढ़ में भी सीसीटीवी सहित सुरक्षा उपकरण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.

पलामू और गढ़वा सिविल कोर्ट

दोनों जिलों के न्यायालय परिसर में सीसीटीवी लगे हैं. लेकिन लातेहार में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है. पलामू में सिर्फ मासिक सुरक्षा ऑडिट की जाती है. लेकिन गढ़वा में न्यायालय की सुरक्षा के लिए पुलिस हर माह ऑडिट नहीं करती है. पलामू डीआइजी को कुछ माह पूर्व ही पलामू जिला के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आवास में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की आवश्यकता की जानकारी मिली थी. लेकिन उन्होंने तत्काल इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुनिश्चित नहीं किया. जबकि गढ़वा और पलामू में भी हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर (एचएचएमडी) और डीएफएमडी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं.

बोकारो व धनबाद सिविल कोर्ट

बोकारो रेंज में न्यायिक पदाधिकारी, उनके आवास और आवासीय कॉलोनी की सुरक्षा 24 घंटे करने के लिए पुलिस के पास आवश्यकता अनुसार बल नहीं है. इसी तरह बोकारो जिला के दोनों न्यायालय परिसर में सीसीटीवी नहीं लगा है. यहां न्यायालय की सुरक्षा सिर्फ पुलिस की गश्त के भरोसे है. धनबाद और बोकारो में न्यायालय की सुरक्षा के लिए एचएचएमडी, डीएफएमडी और सीसीटीवी, वायरलेस के साथ बैगेज एक्सरे नहीं है. धनबाद में हर माह सुरक्षा ऑडिट करने के बजाय छह माह में दो बार किया जाता है. बोकारो में भी मासिक सुरक्षा ऑडिट नहीं होता है. धनबाद एसएसपी और बोकारो एसपी सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट समय पर नहीं भेजते हैं.

रिपोर्ट : अमन तिवारी, रांची

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