रांची. सीसीएल में भारत सरकार के न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) का गठन होगा. यह पूर्णकालिक विशेष न्यायाधिकरण होगा. इसका उद्देश्य सीसीएल में कोयला क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित मामलों का प्रभावी और त्वरित निपटान सुनिश्चित करना है. इससे क्षेत्र के किसानों और भूमि मालिकों को लाभ होगा. सीसीएल के कोल बियरिंग एरिया में भी जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा नहीं मिलने या लाभ नहीं मिलने के कई मामले लंबित हैं. सीसीएल में ट्रिब्यूनल गठन का जिक्र कोल इंडिया ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में की है. इसके तहत पूर्णकालिक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति, भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से संबंधित विवादों के समाधान में तेजी लाना है. प्रभावित भूमि मालिकों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करना भी है. इससे लंबे समय से लंबित मामलों को निबटाने में मदद मिलेगी.
सिविल कोर्ट की शक्तियां होंगी
न्यायाधिकरण भूमि संबंधी विवादों को कुशलता से हल कर कोयला उत्पादन बढ़ाने के सरकार के व्यापक उद्देश्य का भी समर्थन करेगा. विशेष न्यायाधिकरण के पास सिविल कोर्ट की शक्तियां होंगी. इससे वह गवाहों को बुला सकेगा, दस्तावेजों की जांच कर सकेगा और गवाहों की जांच के लिए आदेश जारी कर सकेगा. इससे विवादों के लिए कानूनी ढांचा मजबूत होगा. इन मामलों को तेजी से हल कर न्यायाधिकरण न केवल किसानों और भूस्वामियों को राहत पहुंचायेगा, बल्कि कोयला खनन के प्रयासों का भी समर्थन करेगा. इससे आर्थिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है