Ranchi News: सामूहिक प्रयास से तकनीकी चुनौतियों का मिलेगा हल : डॉ इंद्रनील
Ranchi News: बीआइटी मेसरा के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स की ओर से बुधवार को सरफेस इंजीनियरिंग पर दो दिवसीय द्वितीय इंडो-यूरोपीय संगोष्ठी (आइइएसएसइ-2024) की शुरुआत हुई.
बीआइटी मेसरा में सरफेस इंजीनियरिंग पर संगोष्ठीरांची. बीआइटी मेसरा के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स की ओर से बुधवार को सरफेस इंजीनियरिंग पर दो दिवसीय द्वितीय इंडो-यूरोपीय संगोष्ठी (आइइएसएसइ-2024) की शुरुआत हुई. संगोष्ठी में देश-विदेश के 12 शिक्षाविद् और शोधकर्ता शामिल हुए. सरफेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नयी खोज और उन्नति पर चर्चा हई. मुख्य अतिथि सीएसआइआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट दुर्गापुरी के निदेशक डॉ नरेश चंद्र मुर्मू थे. उन्होंने बताया कि सरफेस इंजीनियरिंग संरचनात्मक अनुप्रयोगों की दिशा में लगातार विकासित हो रहा है. इससे सामग्री संरक्षण, ऊर्जा भंडारण और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्र में तकनीकी उपकरण मजबूत और कारगर सिद्ध हो रहे हैं. कुलपति प्रो डॉ इंद्रनील मन्ना ने शोध को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सहयोग पर विचार दिये. उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयास से किसी विषय पर शोध हो, तो तकनीकी चुनौतियों का आसानी से हल निकाला जा सकता है.
100 शोध पत्रों पर मंथन होगा
यूनिवर्सिटी ऑफ कोइंब्रा पुर्तगाल के प्रो अल्बानो कैवलेइरो ने सरफेस इंजीनियरिंग में इस्तेमाल हो रहे तकनीक और नवाचार, औद्योगिक उपकरणों में इस्तेमाल हो रहे कोटिंग, सरफेस ट्रीटमेंट, धातु व सतह की पहचान कर उसमें सरफेस इंजीनियरिंग के जरिये संभव बदलाव और प्रयोग व उपकरणों में मल्टीलेयर सिस्टम की गुणवत्ता पर अहम जानकारियां दी. डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स के एचओडी डॉ राजीव सिन्हा ने कहा कि विभिन्न सत्रों में 100 शोध पत्रों पर मंथन होगा. श्रेष्ठ शोधपत्र सम्मानित किये जायेंगे. इस अवसर पर इंडो-यूरोपीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ मनीष रॉय, डॉ ऋषि शर्मा, डॉ सोमक दत्ता आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है