रांची. लोयोला ट्रेनिंग सेंटर में विश्व आदिवासी दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका विषय था- जमीन हमारा अधिकार. गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि पुरखे मानते थे कि हमें अपनी जमीन आनेवाली पीढ़ी के लिए बचाकर रखनी चाहिए. मौके पर गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासी दिवस पर गांव गांव में जमीन बचाने को लेकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए. मुख्य वक्ता डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के पूर्व निदेशक रणेंद्र ने कहा कि आदिवासी समुदाय के अगुओं ने सिर्फ जमीन बचाने को लेकर उलगुलान किया था , ताकि आदिवासियों की अस्मिता, पहचान, सभ्यता संस्कृति और इतिहास को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाया जा सके.
आदिवासियों की जमीन विकास के नाम पर खत्म की जा रही
बिशप सतीश टोप्पो ने कहा कि आदिवासी दिवस का संदेश समाज को शिक्षित करना भी है. विधि विवि कांके के प्रोफेसर डॉ रामचंद्र उरांव ने कहा कि आदिवासियों की जमीन विकास के नाम पर खत्म की जा रही है. प्रभाकर तिर्की ने कहा कि पेसा कानून आज़ तक लागू नहीं हो पाया यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 16 हजार ग्राम सभाओं को पेसा कानून के तहत प्रदत्त अधिकार नहीं दिये गये हैं. रतन तिर्की ने कहा कि आज आदिवासी समाज बिखरता जा रहा है और युवाओं को अपने गांव जमीन की चिंता नहीं के बराबर रह गयी है. विचार गोष्ठी का आयोजन साइन, वर्किंग पीपुल्स एलायंस, आरजेएससी और लोयोला ट्रेनिंग सेंटर रांची ने किया था.
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