रांची. रिम्स में 10 दिनों से बेपटरी हो चुकी चिकित्सा व्यवस्था को सीनियर डॉक्टर अब पटरी पर लाने की कोशिश में जुट गये हैं. इमरजेंसी में ही ओपीडी वाले मरीजों को परामर्श दिया गया. इससे मरीजों को थोड़ी राहत मिली. ऐसा इसलिए, क्योंकि दूर-दराज से आये मरीज कई दिनों से अस्पताल परिसर में चक्कर काटने को मजबूर हैं. गुरुवार को शिशु विभाग की इमरजेंसी में 15, कार्डियाेलॉजी में 27, शिशु सर्जरी में चार व नियोनेटल इमरजेंसी में पांच बच्चों की जांच की गयी. ज्ञात हो कि कोलकाता में महिला डाॅक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में रिम्स के जूनियर डाॅक्टर 13 अगस्त से हड़ताल पर थे. इस कारण ओपीडी और सर्जरी सेवाएं ठप थीं.
35 बच्चों को लगाया गया टीका
इधर, शिशु विभाग के ओपीडी का संचालन शुरू किया गया, क्योंकि बच्चों काे टीका देने से पहले उनके स्वास्थ्य की जांच जरूरी है. गुरुवार को ओपीडी में 35 बच्चों को परामर्श देकर डॉक्टराें ने टीका सेंटर में भेजा. इसके अलावा लेबर रूम में 16 महिलाओं को भर्ती किया गया. वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने भी अपनी सेवाएं सेंट्रल इमरजेंसी में बढ़ायीं, जिससे 315 मरीजों को परामर्श दिया गया. इसके अलावा 16 लोगों को येलो फीवर का टीका दिया गया.सदर अस्पताल पर बढ़ा लोड
रिम्स में ओपीडी बंद होने की वजह से सदर अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ गयी है. गुरुवार को सदर अस्पताल में सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा मरीजों को परामर्श दिया गया. ओपीडी में लगभग 1800 मरीजों को परामर्श दिया गया. मेडिसिन, शिशु और स्त्री एवं प्रसूति विभाग के ओपीडी में मरीजों की भीड़ रही.जूनियर डॉक्टरों ने बनायी मानव शृंखला, निदेशक भी हुए शामिल
जूनियर डॉक्टरों ने शाम को रिम्स स्टेडियम में मानव शृंखला बनायी. इसमें रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार भी शामिल हुए. उन्होंने जूनियर डॉक्टरों से कहा कि कहीं हम डॉक्टर धर्म को तो नहीं भूल रहे हैं. ऐसे में आप सभी को इसका ख्याल रखते हुए कुछ निर्णय लेना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है