रांची (वरीय संवाददाता). कोल्हान रेंज के दो जिला सरायकेला और जमशेदपुर में वर्ष 2021 से लेकर 2023 के अंत तक जमीन विवाद और जमीन कब्जा को लेकर 144 केस दर्ज किये गये. इस दौरान सरायकेला पुलिस ने दर्ज केस में आरोपी बनाये गये 357 भू-माफियाओं में सिर्फ 23 को ही गिरफ्तार किया. इन तीन वर्षों में अकेले सरायकेला जिला में 101 केस दर्ज किये गये, जिसमें 357 आरोपी थे. लेकिन केस के अनुसंधान और जांच के बाद पुलिस सिर्फ 23 आरोपियों को ही गिरफ्तार कर सकी जबकि विभिन्न केस में सिर्फ 36 लोगों ने ही जमानत ली थी. यहां वर्ष 2021 में 35 केस दर्ज किये गये थे. इसमें कुल आरोपियों की संख्या 128 थी. पुलिस ने इनमें सिर्फ 16 को ही गिरफ्तार किया. वहीं वर्ष 2022 में 36 केस में 127 आरोपी थे, लेकिन इसमें सिर्फ दो आरोपियों को ही पुलिस ने गिरफ्तार किया. इसी तरह वर्ष 2023 में दर्ज 30 केस में 102 आरोपी थे, लेकिन पुलिस ने सिर्फ पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया. जमशेदपुर में 43 केस दर्ज, 89 आरोपियों में सिर्फ आठ गिरफ्तार : जमशदेपुर में वर्ष 2021-23 के दौरान पुलिस ने भू-माफियों के खिलाफ कुल 43 केस दर्ज किये. इनमें 89 आरोपी बनाये गये, जिसमें से पुलिस ने सिर्फ आठ आरोपियों को किया. जमशेदपुर में वर्ष 2021 में 11 केस दर्ज किये गये थे. इसमें 26 आरोपियों में से पुलिस ने सिर्फ एक आरोपी को गिरफ्तार किया. वहीं वर्ष 2022 में दर्ज 12 केस में 29 आरोपी बनाये गये. लेकिन पुलिस ने इनमें सिर्फ पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया सकी. इसी तरह वर्ष 2023 में दर्ज कुल 20 केस में 34 आरोपी थे. इनमें से पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. इस तरह दोनों जिला में जमीन माफिया के खिलाफ दर्ज केस में पुलिस की कार्रवाई संतोषजनक नहीं रही. वहीं आंकड़ों से यह भी स्पष्ट है कि कोल्हान रेंज के चाईबासा जिला में कोई भी जमीन माफिया या कारोबारी सक्रिय नहीं है. इस कारण जमीन पर कब्जा, विवाद या ठगी को लेकर पिछले तीन सालों में पुलिस ने कोई केस दर्ज नहीं किया है. आराेपियों के गिरफ्तार नहीं होने के मुख्य कारण : पुलिस द्वारा जमीन के दस्तावेज का सत्यापन लंबित रखना , अनुसंधान के दौरान साक्ष्य संकलित करने के लिए केस लंबित रखना, आरोपियों के खिलाफ न्यायालय से वारंट प्राप्त नहीं करना, आरोपी के फरार रहने के बावजूद उन्हें तलाश कर गिरफ्तार नहीं करना, केस में आरोपी की गिरफ्तारी पर न्यायालय से रोक का आदेश जारी होना, केस के अनुसंधान का मामला झूठा साबित होना या दीवानी साबित होना.
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