Ranchi news : कोलकाता की घटना के विरोध में रिम्स व सदर अस्पताल में इमरजेंसी छोड़ ठप रहीं सभी सेवाएं, असहाय दिखे मरीज

डॉक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार. सीनियर डाॅक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर अपनी सेवाएं दी. रिम्स इमरजेंसी में 321 मरीजों को परामर्श दिया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | August 18, 2024 12:27 AM

रांची. कोलकाता में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में शनिवार को रिम्स और सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने इमरजेंसी छोड़ सभी सेवाओं का बहिष्कार किया. इस कारण ओपीडी और रूटीन सर्जरी की सेवाएं ठप रहीं. मरीजों का सिर्फ इमरजेंसी में ही इलाज किया गया. रिम्स इमरजेंसी में कुल 321 मरीजों को परामर्श मिला. इनमें 302 नये मरीज व 19 पुराने मरीज फॉलोअप में परामर्श के लिए पहुंचे थे. जबकि, सामान्य दिनों में यहां प्रतिदिन 2,500 से ज्यादा मरीजों को परामर्श दिया जाता है. इधर, जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के समर्थन में सीनियर डाॅक्टरों ने काला बिल्ला लगाकर अपनी सेवाएं दी.

सदर अस्पताल में जांच भी प्रभावित रही

इधर, सदर अस्पताल में दोपहर एक बजे तक इमरजेंसी में 68 मरीजों को परामर्श दिया गया था. जबकि, सामान्य दिनों में यहां करीब 1,300 मरीजों को प्रतिदिन परामर्श दिया जाता है. सदर अस्पताल में जांच भी प्रभावित रही. जांच के लिए आये मरीजों को सोमवार को आने को कहा गया. इस दौरान कई मरीज ओपीडी से इमरजेंसी में दौड़ लगाते रहे.

निजी अस्पताल और क्लीनिक में भी ठप रहीं सेवाएं

डॉक्टरों की हड़ताल के कारण निजी अस्पतालों और क्लीनिक में भी रूटीन सेवाएं ठप रहीं. सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चालू रहीं. राज अस्पताल में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों ने हाथों में तख्ती लेकर कोलकाता की घटना का विरोध किया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की. वहीं, इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपी, झारखंड ब्रांच के पदाधिकारी भी प्रदर्शन में शामिल हुए.

रिम्स व सदर अस्पताल परिसर बना धरना स्थल

रिम्स और सदर अस्पताल परिसर शनिवार को धरना और प्रदर्शन स्थल में तब्दील हो गया था. रिम्स के राजेंद्र पार्क के पास सीनियर और जूनियर डॉक्टर एकत्र हुए और घटना के विरोध में नारेबाजी की. जेडीए के बैनर तले मेडिकल के छात्रों ने मोटरसाइकिल रैली भी निकाली. विरोध प्रदर्शन में छात्राओं की संख्या ज्यादा थी. छात्राएं हाथों में बैनर और स्लोगन लिखी तख्ती लेकर प्रदर्शन कर रही थीं.

रिम्स में प्रतिदिन होती हैं 25 से 30 मौतें

रिम्स में प्रतिदिन सामान्यत: 25 से 30 मरीजों की मौत होती है. वहीं, 17 अगस्त को शाम सात बजे तक 14 मरीजों की मौत हुई थी, जो गंभीर अवस्था में इलाजरत थे. हालांकि, इन मौतों को हड़ताल से नहीं जोड़ा जा सकता है. क्याेंकि, रिम्स में सिर्फ ओपीडी और सर्जरी की सेवाएं प्रभावित थीं. वार्ड में भर्ती मरीजों को परामर्श दिया जा रहा था.

क्या कहते हैं डॉक्टर्स

डॉक्टरों की हड़ताल पूरी तरह सफल रही है. स्वास्थ्य संगठनों के अलावा अधिवक्ता, चेंबर, डेंटल एसोसिएशन, महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के लोगों ने हमारे आंदोलन का समर्थन किया. राज्य के डॉक्टर भी सुरक्षित नहीं हैं. सरकार क्यों नहीं मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू कर रही है, यह समझ से परे है. आखिर बंगाल जैसी घटना का इंतजार क्यों किया जा रहा है.

डॉ प्रदीप सिंह, सचिव, स्टेट आइएमए

भारत में सीरियस क्राइम अगेंस्ट वीमेन कानून को लागू करने की जरूरत है. इससे महिलाओं पर होने वाले जघन्य अपराधों पर त्वरित कार्रवाई होगी और दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. सभी वर्ग की महिलाओं काे सुरक्षा मिलेगी.

डॉ भारती कश्यप, महिला डॉक्टर्स विंग की चेयरपर्सन

हम डॉक्टर्स हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं. 24 घंटे सातों दिन ड्यूटी करते हैं. कभी-कभी तो 36 से 48 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ती है. हम आमलोगों की सेवाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं. बदले में हम सम्मानपूर्वक निर्भीक रहकर उपचार करना चाहते हैं.

डॉ तान्या, चिकित्सक, सदर अस्पतालB

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