अस्पताल तोड़ने के आदेश के खिलाफ सेवा सदन प्रबंधन जायेगा हाइकोर्ट, कई संगठनों का भी मिला साथ
अस्पताल प्रबंधन की दलील हमारे पास आरआरडीए का नक्शा, लेकिन नहीं मान रहा है नगर निगम नगर आयुक्त सेवा ने कहा- सदन के भवन का अवैध तरीके से निर्माण किया गया
Ranchi News रांची : 63 वर्ष पुरानी चिकित्सा संस्था सेवा सदन के भवन को तोड़ने का आदेश रांची नगर निगम के नगर आयुक्त ने दिया है. सेवा सदन प्रबंधन ने कहा है कि नगर आयुक्त का यह आदेश गलत है. इसे हाइकोर्ट में चुनौती दी जायेगी. प्रबंधन का कहना है कि सेवा सदन भवन का नक्शा 1980 में आरआडीए ने पास किया है. निगम के सामने इसे प्रस्तुत किया गया है, लेकिन नगर आयुक्त इसे नहीं मान रहे हैं.
अस्पताल प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया है कि मरीजों को भर्ती नहीं करने का आदेश नगर आयुक्त नहीं दे सकते हैं. जो भी मरीज आयेगा, उसे जरूरी होने पर भर्ती किया जायेगा. अस्पताल किसी मरीज को लौटा नहीं सकता. दूसरी ओर बुधवार को ही नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सेवा सदन अवैध निर्माण कर बनाया गया है. सेवा सदन ही नहीं, बल्कि राजधानी के ऐसे सभी भवन तोड़े जायेंगे. ऐसा अवैध निर्माण करानेवाले अपने भवन को खाली कर दें. उन्होंने कहा कि सेवा सदन को 15 दिन का समय दिया गया है और 16वें दिन से कार्रवाई शुरू हो जायेगी.
विरोध में गोलबंद हुए सामाजिक संगठन :
सेवा सदन को तोड़ने के आदेश के खिलाफ रांची के कई सामाजिक संगठन गोलबंद हो गये हैं. आदेश के विरोध में राजधानी में कई सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया. इसमें रांची जन सेवा संघ और सिविल सोसाइटी जैसे संगठन शामिल हैं. बुधवार को सेवा सदन प्रबंधन के साथ विभिन्न सामाजिक और व्यावसायिक संगठनों की बैठक हुई. अग्रसेन भवन में मारवाड़ी सम्मेलन की बैठक हुई.
इसमें सेवा सदन को तोड़ने के फैसले का विरोध किया गया. चेंबर ऑफ कॉमर्स सहित दूसरे संगठनों ने रांची के इस चिकित्सा संस्थान को धरोहर बताते हुए इसे बचाने की बात कही है. इस बीच निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि सेवा सदन राज्य का गौरव है. इसने वर्षों से लोगों की सेवा की है. सेवा सदन पर जिस आधार पर कार्रवाई की जा रही है, उस आधार पर तो पूरा शहर वीरान हो जायेगा.
एेसे भवनों को रेगुलराइज करने की उठी मांग
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी और सांसद संजय सेठ सहित कई नेताओं ने शहर में बने इस तरह के बहुत पुराने भवनों को रेगुलराइज करने की मांग की है. सांसद संजय सेठ ने कहा है कि नगर निगम जनविरोधी काम कर रहा है. सेवा सदन तब से है, जब यहां नगर निगम नहीं था.
राजधानी में अतिक्रमण के समय निगम के लोग कहां रहते हैं. राजधानी में अतिक्रमण के लिए निगम के लोग सीधे जिम्मेवार हैं. वहीं मामले में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि मामला नगर निगम को देखना है. उसे सभी पक्षों को सुनना चाहिए. हालांकि वैसी संस्था, जो सेवा कार्य में लगी हों, उन्हें रेगुलराइज करने पर विचार करना चाहिए.
किसने क्या कहा आदेश के खिलाफ
सेवा सदन भवन को तोड़ने का अादेश अव्यावहारिक है. वर्ष 1980 में आरआरडीए द्वारा नक्शा पास किया गया है. तीन अगस्त को नगर आयुक्त के कोर्ट में यह साक्ष्य भी प्रस्तुत किया गया, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं. 63 वर्षों से मानवता की सेवा में जुटे सेवा सदन को तोड़ने पर अड़े हैं. हम हाइकोर्ट की शरण में जायेंगे. अरुण छावछरिया
अध्यक्ष नागरमल मोदी सेवा सदन
शुरू हो जायेगी 16वें दिन से कार्रवाई
कोर्ट द्वारा सिर्फ सेवा सदन को ही तोड़ने का अादेश नहीं दिया गया है. बल्कि कांके डैम, हिनू नदी, अपर बाजार व बड़ा तालाब को मिलाकर 200 से अधिक मकानों को तोड़ने का अादेश दिया गया है. अगर कोई दस्तावेज नहीं पेश करता है, तो ऐसे भवनों को तोड़ा जायेगा. 15 दिन का समय दिया गया है, 16वें दिन से कार्रवाई शुरू हो जायेगी.
मुकेश कुमार, नगर आयुक्त
Posted By : Sameer Oraon