रांची के शालीमार बाग का हाल, 12 साल बाद भी नहीं हुआ फ्लैट की रजिस्ट्री और म्यूटेशन
फ्लैट के निवासी शालीमार बाग की अधिकतर जमीन के आदिवासी व गैर मजरुआ प्रकृति के होने का दावा करते हैं. कहते हैं कि इसी वजह से फ्लैट की रजिस्ट्री और म्यूटेशन नहीं हो रहा है. जीवन की गाढ़ी पूंजी लगा कर फ्लैट खरीदने वालों के पास कोई विकल्प नहीं है.
अरगोड़ा कटहल मोड़ मार्ग पर चार एकड़ में शालीमार बाग के अपार्टमेंट में रहने वाले लोग बिल्डर की शिकायत करते नहीं थकते. 2010 में बिल्डर सीएम कपूर (केवी कंस्ट्रक्शन) से फ्लैट खरीदने वाले लोगों के फ्लैट का आज तक रजिस्ट्री और म्यूटेशन नहीं किया गया है. फ्लैट के निवासी शालीमार बाग की अधिकतर जमीन के आदिवासी व गैर मजरुआ प्रकृति के होने का दावा करते हैं. कहते हैं कि इसी वजह से फ्लैट की रजिस्ट्री और म्यूटेशन नहीं हो रहा है. जीवन की गाढ़ी पूंजी लगा कर फ्लैट खरीदने वालों के पास कोई विकल्प नहीं है. वह बिना रजिस्ट्री व म्यूटेशन के ही फ्लैटों में रह रहे हैं.
शालीमार बाग के निवासी बताते हैं कि फ्लैट बेचते समय बिल्डर ने शहर की सबसे सुंदर सोसाइटी होने का दावा किया था. लोगों को प्ले ग्राउंड, कम्यूनिटी हॉल, प्ले स्कूल, छठ घाट, मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स, एंपी थियेटर, क्लब हाउस बना कर देने का वादा किया था, लेकिन, जो जगह इन सबके लिए चिह्नित थे, उनको प्लाटिंग करके बेचा जा रहा है. लोगों ने इसकी शिकायत नगड़ी अंचल से लेकर पुंदाग थाना तक में की. लेकिन, बिल्डर पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सोसाइटी गठित करने के नाम पर बिल्डर ने हर फ्लैट मालिक से 37 हजार रुपये वसूले थे. लेकिन सोसाइटी का गठन नहीं किया गया. जिस भवन को बिल्डर ने कम्यूनिटी हॉल के रूप में दिखाया था, वहां उसने अपना कार्यालय खोल लिया है.
कोई विवाद नहीं, धीरे-धीरे हो रहा सबका काम
जमीन में किसी तरह का कोई विवाद नही है. जिन्हे जमीन या फ्लैट दिया गया है, सबकी रजिस्ट्री कर दी गयी है, चूंकि प्रोजेक्ट काफी बड़ा है, इसलिए धीरे-धीरे सबका काम हो रहा है, रही बात एमिनिटीज की, तो हमने जो वादा किया था, उसके तहत मंदिर पार्क पहले फेज में बना कर दिया है. दूसरे फेज में बाकी की सारी फैसिलिटीज लोगो को दे दी जाएगी. लोगों के द्वारा जो भी आरोप लगाया जा रहा है, सारी बातें गलत है. इसमें कोई सच्चाई नही है. यह हमारी छवि को धूमिल करने का प्रयास है.
-संदीप कपूर, बिल्डर
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