Navratri 2022: आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है. सूर्योदय के बाद कलश स्थापना कर मां की आराधना शुरू हो जायेगी. पांच अक्तूबर को पूजा का समापन होगा. वाराणसी व बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है. यह सुख और समृद्धि का प्रतीक है. बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का गमन नाव से हो रहा है, जिसका भी फल शुभ माना जा रहा है. पंडित कौशल मिश्र ने कहा कि वाराणसी पंचांग के अनुसार मां का गमन मुर्गा (चरणायुद्ध) पर हो रहा है, जो शुभ नहीं माना जा रहा है.
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पहला मुहूर्त : सुबह 6:02 बजे से सुबह 7:03 बजे तक
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दूसरा मुहूर्त : दिन के 11:41 बजे से शाम 04:12 बजे तक
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अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:16 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा
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26 सितंबर : शैल पुत्री की पूजा अर्चना, प्रतिपदा रात 3:22 बजे तक
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27 सितंबर : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, द्वितीया रात 2:50 बजे तक
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28 सितंबर : मां चंद्रघंटा की पूजा, तृतीया रात 1:49 बजे तक
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29 सितंबर : मां कूष्मांडा की पूजा व श्री वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत, चतुर्थी रात 12:24 बजे तक.
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30 सितंबर : मां स्कंदमाता की पूजा, पंचमी रात 10 :39 बजे तक
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01 अक्तूबर : मां कात्यायनी की पूजा, षष्ठी रात 08:37 बजे तक
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02 अक्तूबर : मां काल रात्रि की पूजा, महासप्तमी शाम 06:21 तक
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03 अक्तूबर : मां महागौरी की पूजा, महाअष्टमी दिन के 03:59 तक
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04 अक्तूबर : मां सिद्धिदात्री की पूजा, महानवमी दोपहर 1:33 तक
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05 अक्तूबर : विजयादशमी व मां की प्रतिमा का विसर्जन, दशमी सुबह 11:09 बजे तक
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प्रतिपदा : गाय का घी
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द्वितीया: शक्कर
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तृतीया : दूध
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चतुर्थी : मालपुआ
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पंचमी : केला
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षष्ठी: शहद
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महासप्तमी : गुड़
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महाअष्टमी: नारियल
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महानवमी : चना और हलवा
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विजयादशमी : चुड़ा, गुड़, दही, मिठाई
इस बार माता रानी की पूजा-अर्चना दिन भर होगी. आज रात 3:22 बजे तक प्रतिपदा है. इस कारण भक्तों को अनुष्ठान का पूरा समय मिल रहा है. सोमवार को उतरा फाल्गुनी नक्षत्र सुबह 07:03 बजे तक, शुक्ल योग दिन के 10:27 बजे तक रहेगा. इसके अलावा श्री वत्स योगा मिल रहा है.
दुर्गा पूजा के दौरान हर दिन 13 अध्याय का पाठ करें. यदि संपूर्ण 13 अध्याय एक दिन में नहीं कर सकते हैं, तो सात दिनों में यह पाठ कर सकते हैं. पहले दिन प्रथम अध्याय, दूसरे दिन द्वितीय-तृतीय, तीसरे दिन चतुर्थ अध्याय, चौथे दिन पंचम से अष्टम अध्याय, पांचवें दिन नवम-दशम अध्याय, छठे दिन एकदश अध्याय, सातवें दिन द्वादश एवं त्रयोदश, आठवें और नौवें दिन सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें. साथ ही प्रतिदिन रूद्राक्ष की माला से माता रानी के मंत्र अथवा उनके नाम का जप करें.