झारखंड की नौ दुर्गा-6: पति की नौकरी छूटी, तो परिवार काे संभाला भाई-बहन की पढ़ाई का भी उठा रहीं जिम्मा

रांची की मोना जैप-10 के महिला बैंड की सिपाही हैं. मोना एक वर्ष की अपनी बेटी के साथ सुबह छह बजे ही ग्राउंड पर आ जाती हैं और बैंड के साथ रोजाना कड़ी प्रैक्टिस करती हैं. वह अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ पुश्तैनी काम को भी आगे बढ़ा रही हैं.

By Jaya Bharti | October 20, 2023 9:08 AM

Shardiya Navratri 2023: गोरखा समाज की मोना उपाध्याय जैप-10 के महिला बैंड की सिपाही हैं. इस बैंड में 41 महिला सिपाही जुड़ी हुई हैं, जिसमें मोना साइड ड्रमर हैं. वह कहती हैं कि इस बैंड में जगह बनाना आसान नहीं होता. इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. मैंने पिता शाहदेव उपाध्याय से ड्रम बजाना सीखा, जो जैप वन में साइड ड्रमर रहे हैं और पुजारी भी हैं. माेना भी पिता की तरह पूजा-पाठ करवाती हैं. दादा भी पुजारी थे, जो जैप वन से इंसपेक्टर पद से रिटायर हुए हैं.

बेटी के साथ सुबह छह बजे पहुंच जाती हैं ग्राउंड

मोना एक वर्ष की अपनी बेटी के साथ सुबह छह बजे ही ग्राउंड पर आ जाती हैं और बैंड के साथ रोजाना कड़ी प्रैक्टिस करती हैं. हाल ही में पंचकुला में आयोजित ऑल इंडिया बैंड प्रतियोगिता में इनकी टीम ने गोल्ड मेडल जीता है. अभी गुजरात में हाेनेवाली ऑल इंडिया बैंड प्रतियोगिता के लिए घंटों मेहनत कर रही हैं.

बड़े पिता के निधन के बाद चचेरी बहन को पढ़ा रही हैं

मोना उपाध्याय अपने तीन भाई-बहनों की पढ़ाई का खर्च उठा रही है. एक वर्ष पहले ही बड़ी मां बौर बड़े पिता का देहांत हो गया. इस स्थिति में उन्होंने चचेरी बहन को संभाला और उसकी उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी भी बखूबी उठा रही हैं. कोरोना काल में जब पति की नौकरी चली गयी, तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी बखूबी उठायी.

‘हर काम कर सकती हैं महिलाएं’

मोना ने रांची के डोरंडा गर्ल्स स्कूल से इंटर की पढ़ाई की है. इसके बाद आगे नहीं पढ़ सकीं. पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ पुश्तैनी काम को भी आगे बढ़ा रही हैं. वह कहती हैंं : महिलाएं हर काम कर सकती हैं. सिर्फ जज्बे की जरूरत है.

Also Read: झारखंड की नौ दुर्गा-05: दिव्यांगों के लिए उम्मीद की मशाल हैं रूमा दत्ता

Next Article

Exit mobile version