Jharkhand News: केंद्रीय करों में लगातार घट रही है झारखंड की हिस्सेदारी
केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है. गुजरे पांच वित्तीय वर्षों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स में झारखंड का हिस्सा आठ प्रतिशत घट गया है.
विवेक चंद्र, रांची : केंद्रीय करों में झारखंड की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है. गुजरे पांच वित्तीय वर्षों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स में झारखंड का हिस्सा आठ प्रतिशत घट गया है. वर्ष 2016-17 में राज्य के बजट में केंद्रीय करों का प्रतिशत 32 था. 2019-20 में यह घट कर 29 प्रतिशत और 2021-22 में 24 प्रतिशत हो गया है. राज्य सरकार के बजट में सबसे अधिक 25 प्रतिशत का योगदान अपने स्रोतों से वसूले जाने वाले राजस्व का होता है.
वहीं, केंद्रीय करों से राज्य को हिस्से के रूप में बजट का 24 प्रतिशत ही प्राप्त होता है. इसके अलावा राज्य के बजट में माइंस व अन्य स्रोतों से 15 प्रतिशत, केंद्रीय सहायता या अनुदान के रूप में 20 प्रतिशत हिस्सा है. वहीं, 16 प्रतिशत राशि विभिन्न बैंकों से कर्ज के रूप में लेकर बजट में शामिल की जाती है. झारखंड सरकार के बजट में पिछले 10 सालों से लगातार इजाफा हो रहा है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य ने 73,854 करोड़ व्यय किया था. जबकि, 2021-22 का बजट 91,277 करोड़ रुपये का है. राज्य सरकार ने 56,150 करोड़ रुपये राजस्व (रेवेन्यू रिसिप्ट) और 17,704 करोड़ पूंजी (कैपिटल रिसिप्ट) से अर्जित की. चालू वित्तीय वर्ष के बजट में पूंजी से 14,570 करोड़ और राजस्व से 76,710 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
22-25% तक राजस्व अर्जित किया
वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने राजस्व प्राप्ति के लिए अपने स्रोतों में वृद्धि की है. गुजरे पांच वर्षों के दौरान अपने स्रोतों से राज्य ने कुल बजट का 22 से 25 प्रतिशत तक राजस्व अर्जित किया है. खदान समेत राज्य के सभी नॉन टैक्स स्रोतों में 2016-17 में बजट का नौ प्रतिशत राजस्व मिला था.
2019-20 में यह 12 और 2021-22 में 15% रहा. हालांकि, गत पांच वर्षों के दौरान भारत सरकार से मिलने वाली सहायता या अनुदान में मामूली वृद्धि हुई है. वर्ष 2016-17 में भारत सरकार से कुल बजट का 16% अनुदान राज्य को मिला था. 2019-20 में केंद्रीय सहायता बढ़ कर 17% और 2021-22 में 20% हो गया.
राज्य सरकार अपने स्रोतों से सबसे अधिक राजस्व वाणिज्य कर के रूप में प्राप्त करती है. वर्ष 2020-21 में राज्य ने अपने स्रोतों से 16,880 करोड़ रुपये राजस्व की वसूली की थी. इसमें सबसे अधिक वाणिज्य कर से 75 प्रतिशत राजस्व प्राप्त हुआ था. वहीं, माइंस रॉयल्टी के रूप में 5,012 करोड़ और अन्य स्रोतों से 2,500 करोड़ राजस्व प्राप्ति की थी. इस वित्तीय वर्ष में 23,265 करोड़ रुपये अपने स्रोतों से राजस्व वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. राज्य में नये माइंस खुलने की उम्मीद से ज्यादा रॉयल्टी मिलने का अनुमान लगाया गया है.
प्रति व्यक्ति आय के मामले में झारखंड पीछे
प्रति व्यक्ति आय के मामले में झारखंड देश के फिसड्डी राज्यों में शामिल है. भारत की प्रति व्यक्ति आय से राज्य की प्रति व्यक्ति आय 40 % कम है. राष्ट्रीय जीडीपी में राज्य का योगदान केवल 1.6 % ही है. इस वजह से झारखंड की गिनती देश के सबसे पिछड़े राज्यों में होती है. झारखंड का क्षेत्रफल देश के कुल भू-भाग का 2.4% है. जबकि, यहां की जनसंख्या भारत की जनसंख्या का 2.7% है.
जून से केंद्र नहीं देगा जीएसटी कंपन्सेशन
झारखंड को जुलाई 2022 से जीएसटी क्षतिपूर्ति (कंपन्सेशन) के रूप में केंद्र सरकार से राशि नहीं मिलेगी. जीएसटी व्यवस्था लागू होने की वजह से राज्यों को हुई राजस्व की कमी पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा दी जा रही जीएसटी क्षतिपूर्ति करने की व्यवस्था जून में समाप्त हो रही है. इसके बाद क्षतिपूर्ति उपकर की वसूली से प्राप्त राशि का उपयोग ऋणों के भुगतान के लिए किया जायेगा. झारखंड समेत कई राज्यों ने केंद्र से जीएसटी मुआवजा की अवधि बढ़ाने की मांग की है. लेकिन, केंद्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति की अवधि में विस्तार का कोई संकेत नहीं दिया है.
हालांकि, राज्यों को जीएसटी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए 2020-21 और 2021-22 में लिये गये कर्ज भुगतान के एवज में क्षतिपूर्ति उपकर मार्च, 2026 तक लिया जायेगा. यह उपकर शराब व सिगरेट जैसी विलासिता व नुकसानदायक वस्तुओं पर लगाया जाता है.
Posted by: pritish Sahay