झारखंड सरकार की दलील खारिज, अब 10 जून को शेल कंपनी मामले में होगी सुनवाई
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन व उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश व अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन में माइनिंग लीज आवंटन को लेकर दायर जनहित याचिकाएं मेंटेनेबल हैं.
रांची : झारखंड सरकार की दलील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. अब माइनिंग लीज मामले और शेल कंपनियों में निवेश मामले में 10 जून को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. बता दें कि शेल कंपनियों में निवेश और माइनिंग लीज आवंटन को लेकर दायर जनहित याचिकाएं मेंटेनेबल हैं. हाइकोर्ट इन मामलों में मेरिट पर सुनवाई करेगा. उस दिन कोर्ट फिजिकल मोड में सुनवाई होगी
चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अवकाशकालीन खंडपीठ ने शुक्रवार को उक्त फैसला सुनाया. एक जून को याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दोनों जनहित याचिकाओं को वैध मानते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने मैरिट पर सुनवाई के लिए 17 जून तय करने का आग्रह किया.
वहीं प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार को लंबा समय देने से सबूतों के नष्ट होने की आशंका है. इस पर खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि प्रार्थी का यह कहना कि सबूत नष्ट किये जा सकते हैं, सही नहीं है. मामला गंभीर जरूर है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार पर संदेह किया जाये. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने अलग-अलग जनहित याचिका दायर की है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में पैसा निवेश करने का आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. वहीं शिव शंकर शर्मा ने दूसरी जनहित याचिका दायर कर हेमंत सोरेन को अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन में माइनिंग लीज आवटन मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है. प्रार्थी ने लीज आवंटन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन बताया है. भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.
क्रेडेंशियल की जांच जरूरी :
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उदाहरण देते हुए श्री सिब्बल ने कहा कि सबसे पहले क्रेडेंशियल की जांच करने के बाद पीआइएल में आगे बढ़ा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार साफ हृदय व साफ मंशा से ही जनहित याचिका दाखिल की जा सकती है. यह याचिका पॉलिटिकल मोटिवेटेड है. वहीं माइनिंग लीज आवंटन मामले में अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि प्रार्थी पहले किसी अथॉरिटी के पास नहीं गया है. हाइकोर्ट रूल के हिसाब से याचिका दायर नहीं की है.
राज्य सरकार जा सकती है सुप्रीम कोर्ट
रांची. शेल कंपनियों व माइनिंग लीज आवंटन के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनाैती दी जा सकती है. सरकार आदेश की प्रति का इंतजार कर रही है. महाधिवक्ता राजीव रंजन से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अभी आदेश की प्रति नहीं मिली है.
Posted By: Sameer Oraon