फंड के अभाव में लाचार महिलाओं के लिए बना सरकारी शेल्टर होम नारी निकेतन बंद हो चुका है. इसकी देखरेख करनेवाली संस्था महिला सामख्या सोसाइटी को तीन साल से महिला बाल विकास सामाजिक सुरक्षा विभाग की ओर से फंड नहीं दिया गया है. फिलहाल कांके अरसंडे स्थित शेल्टर होम में कोई महिला नहीं रह रही है. गेट पर बड़ा ताला लगा दिया गया है. आसपास के लोगों ने बताया कि शेल्टर होम तीन महीने से बंद है. देखरेख के अभाव में भवन की स्थिति भी जर्जर हो चुकी है.
नारी निकेतन में कार्यरत कर्मियों को भी तीन साल से वेतन नहीं मिला है. इतना ही नहीं, निकेतन में रह रही महिलाओं के लिए जो सामान स्थानीय दुकान से लिये गये थे, उसकी उधारी एक लाख रुपये हो चुकी है. देखरेख कर रही संस्था ने जुगाड़ से कई माह तक इस उम्मीद से शेल्टर होम का संचालन किया कि विभाग से राशि मिल जायेगी, लेकिन एक पैसा नहीं मिला. नारी निकेतन की स्थिति में सुधार लाने के लिए 2021 में झारखंड हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया गया था.
इस पर हाइकोर्ट ने फंड देने के लिए आदेश भी दिया. इसके बावजूद फंड नहीं मिला. तब कर्मियों ने ही 24 अगस्त 2022 को विभाग के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को सभी दस्तावेज, सामग्री और चाबी सौंप दी. पिछले तीन साल से राशन सहित अन्य बकाया मिलाकर चार से पांच लाख रुपये हो गये हैं. कुछ समय पहले भवन की मरम्मत भी करायी गयी थी, लेकिन उसका भी पैसा अब तक बकाया है. बिजली का बिल तक नहीं भरा गया. हालत यह है कि यहां वर्षों से काम कर रहीं महिलाओं की स्थिति दयनीय हो गयी है.
महिलाओं को दूसरे जिले के आश्रय गृह भेजना पड़ा : वर्ष 2015 में समाज कल्याण महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्नेहाश्रय यानी नारी निकेतन की नींव रखी. तब इसे तीन महिलाओं के साथ शुरू किया गया. धीरे-धीरे यहां महिलाओं की संख्या बढ़ती गयी और इनकी संख्या 70 तक पहुंच गयी. जब शेल्टर होम बंद हो गया, तो सोसाइटी ने भी इन महिलाओं को या तो उनके परिवारों के सुपुर्द कर दिया या दूसरे जिलों के आश्रयगृह में भेज दिया.
फिलहाल मैं रांची से बाहर हूं. रांची आने पर इस मामले की पूरी जानकारी ली जायेगी, तभी इस विषय पर बातचीत कर पाऊंगा. इसकी पूरी जानकारी दी जायेगी.
केएन झा, सचिव, समाज कल्याण
रिपोर्ट- लता रानी