PHOTOS: शिबू सोरेन ने अपने परिवार व कार्यकर्ताओं संग ऐसे मनाया जन्मदिन, सुबह से ही घर पहुंचने लगे थे शुभ चिंतक
दिशोम गुरु शिबू सोरेन अपने बेटे हेमंत सोरेन और बहू कल्पना सोरेन के साथ पहुंचे लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिये. बहू बहू कल्पना सोरेन ने भी उन्हें जन्मदिन की बधाई दी और उनके दीर्घायु होने की कामना की
पूर्व केद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री शिबू सोरेन आज 79 साल के हो गये हैं, इस अवसर पर कई बड़े नेता और झामुमो कार्यकर्ताओं ने उन्हें बधाई दी और उनकी लंबी उम्र की कामना की. सुबह से ही झामुमो कार्यकर्ताओं की भीड़ उनके रांची स्थित अवास पर लगनी शुरू हो गयी थी. सभी लोग हाथों में गुलदस्ता लिये उनके आगमन का इंतजार कर रहे थे.
जैसे ही दिशोम गुरु शिबू सोरेन अपने बेटे हेमंत सोरेन और बहू कल्पना सोरेन के साथ पहुंचे लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिये. बहू कल्पना सोरेन ने भी उन्हें जन्मदिन की बधाई दी और उनके दीर्घायु होने की कामना की. तो वहीं सीएम हेमंत सोरेने ने अपने पिता को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए लंबी उम्र की कामना की.
उन्होंने कहा कि आज कार्यकर्ता पूरे राज्य ने धूमधाम से उनका जन्मदिन मना रहे हैं. आज गुरुजी के आशीर्वाद से ही राज्य में एक मजबूत सरकार चल रही है और अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं चल रही है. जो सपना गुरुजी ने देखा है उसे पूरा करने के लिए हम संकल्पित हैं. इस अवसर पर झामुमो के महुआ माजी, सुप्रियो भट्टाचार्य समेत कई बड़े नेता मौजूद थे.
आदिवासियों को किया था एकजुटशिबू सोरेन अपने पिता की हत्या के प्रतिशोध में पीड़ित जनजातीय समाज को एकजुट कर अपने क्षेत्र गोला, पेटरवार व बोकारो इलाके में सातवें दशक में शिवराम मांझी (पहले का नाम) काफी लोकप्रिय हुए. उस समय आदिवासियों की जमीन औने-पौने दाम में लेकर उन्हें भूमिहीन बना दिया जाता था या बंधुआ मजदूर बना कर रखा जाता था. गुरुजी ने ऐसे पीड़ित समुदाय को एकजुट कर अपने हक के प्रति जागरूक किया. धनकटनी आंदोलन चलाया. इस मुहिम की सफलता ने ही जैसे उनके आगामी आंदोलन की जमीन तैयार कर दी.
रात्रि पाठशाला से समानांतर सरकार तक :बाद के दिनों में धनबाद के प्रतिष्ठित अधिवक्ता और समाजसेवी के रूप में लोकप्रिय बिनोद बिहारी महतो व मजदूर नेता के रूप में उभरे एके राय ने शिबू सोरेन के इसी पोटेंशियल पार्ट का रचनात्मक इस्तेमाल किया. हजारीबाग जेल में बिनोद बिहारी महतो से तथा झरिया कोयलांचल में एके राय से उनकी मुलाकात ने उनके व्यक्तित्व को और विस्तार दिया. हजारीबाग जेल से उन्हें धनबाद लाया गया. यह घटना गुरुजी के जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा.