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दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीसरी बार बनेंगे राज्यसभा के सदस्य

shibu soren going to rajya sabha for third time : संघर्ष और झारखंड आंदोलन से निकले दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्ष 1998 में और वर्ष 2002 में वह राज्यसभा के सदस्य चुने गये थे.

रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष और प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन तीसरी बार राज्यसभा पहुंचेंगे. बुधवार (11 मार्च, 2020) को झारखंड विधानसभा में उन्होंने राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस नेता एवं मंत्री रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम और महागठबंधन के कई बड़े उनके नामांकन के समय मौजूद थे.

संघर्ष और झारखंड आंदोलन से निकले दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्ष 1998 में और वर्ष 2002 में वह राज्यसभा के सदस्य चुने गये थे. उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर दुमका से लोकसभा का उपचुनाव जीता था. 1977 में शिबू सोरेन पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1980 में वह पहली बार लोकसभा के सांसद चुने गये.

शिबू सोरेन वर्ष 1989, 1991 और 1996 में लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीते. वर्ष 2000 में जब बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बना, तो वर्ष 2005 में उन्होंने पहली बार एक अल्पमत सरकार की कमान संभाली. शिबू सोरेन की यह अल्पमत सरकार सिर्फ 10 दिन तक ही चल पायी. वर्ष 2004 में शिबू सोरेन केंद्र सरकार में कोयला मंत्री बने. इसी दौरान 30 साल पुराना चिरुडीह कांड में फैसला आया और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.

वर्ष 2009 में गुरुजी फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बने. इस बार भी उनका कार्यकाल पूरा न हो सका. शपथ ग्रहण के कुछ महीनों बाद ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से समर्थन नहीं मिलने की वजह से वह बहुमत साबित नहीं कर सके. गुरुजी को फिर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन ने जीत दर्ज की. वर्ष 2014 में जब देश भर में मोदी लहर चल रही थी, वह अपनी दुमका सीट बचाने में सफल रहे. इस बीच, तबीयत नासाज होने की वजह से अघोषित रूप से उन्होंने राजनीति में अपनी सक्रियता कम कर दी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वह दुमका सीट नहीं बचा पाये.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि शिबू सोरेन झारखंड के ऐसे राजनेता हैं, जिसके इर्द-गिर्द ही प्रदेश की पूरी राजनीति घूमती है. अपनी पार्टी झामुमो के वह सबसे बड़े और सर्वमान्य नेता हैं. झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के भी वह निर्विवाद सर्वमान्य नेता हैं. ऐसा लग रहा था कि गुरुजी अब राजनीति से संन्यास ले लेंगे, लेकिन 76 साल की उम्र में गुरुजी दिल्ली की राजनीति में वापसी करने जा रहे हैं.

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