रांची. गर्मी की छुट्टी को यादगार बनाया जा सकता है़ नया हुनर सीखने का यह बेहतर मौका है. राजधानी में कई ऐसे संस्थान हैं, जहां इंग्लिश स्पोकेन, कंप्यूटर, पेंटिंग, क्राफ्ट, कार्ड मेकिंग आदि की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है. यह सुविधा सभी के लिए है, लेकिन महिलाओं के लिए खास मौका है. क्योंकि गर्मी की छुट्टी में उनके पास समय होता है. इन शॉर्ट टर्म कोर्स से वे खुद को आत्मनिर्भर बना सकती हैं. एकल युवा संगठन बच्चों को नि:शुल्क इंग्लिश स्पोकेन और कंप्यूटर की शिक्षा देता है. हर रविवार सेवा सदन पथ स्थित माहेश्वरी भवन में बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है. अध्यक्ष विशेष केडिया ने बताया कि कोई भी बच्चा यहां नि:शुल्क प्रशिक्षण ले सकता है. साथ ही एकल अभियान की महिला समिति महिला सशक्तीकरण में जुटी हुई है. इसी उद्देश्य के साथ महिलाओं काे नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. भुइयां टाेली, अपर बाजार में महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां डेढ़ महीने में महिलाएं सिलाई सीख सकती हैं.
स्तंभ ट्रस्ट महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सीसीएल और सेल के सहयोग से सोहराई पेंटिंग का नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रहा है. प्रशिक्षण में जरूरतमंद महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है. गर्मी की छुट्टी में कोई भी महिला हरमू इलाके के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले सकती है. सोहराई पेेंटिंग सीख सकती है. ट्रस्ट की अध्यक्ष जयश्री देवी ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य ही महिलाओं को राेजगार से जोड़ना है.गूड न्यूज सेंटर महिलाओं और युवाओं के लिए एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम चला रहा है. नि:शुल्क प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार और रोजगार से जोड़ा जा रहा है. महिलाओं को साल भर टेलरिंग, बुटिक वर्क, क्राफ्ट वर्क और पर्सनालिटी डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं युवाओं को कांटाटोली स्थित गुड न्यूज सेंटर के कार्यालय में इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर और स्पोकन इंग्लिश की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. सेंटर के निदेशक डॉ राकेश पॉल ने बताया कि कोई भी महिला या युवा यहां सालों भर नि:शुल्क प्रशिक्षण ले सकते हैं.
दीपशिखा में पेंटिंग, कार्ड मेकिंग, सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण
नामकुम आरा गेट स्थित दीपशिखा, बाल विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में दिव्यांग जनों को शिक्षा के साथ-साथ उनके कौशल विकास के लिए नि:शुल्क वोकेशन ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग के दौरान दिव्यांगों को पैसे भी मिलते हैं. पेंटिंग, कार्ड मेकिंग, सिलाई-कढ़ाई, कंप्यूटर, डाटा इंट्री का प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण के बाद जॉब भी मिल रही है. प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर प्रमोद कुमार ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों में अभिभावकों को भी नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे बच्चे और सशक्त हो सकें.अभिभावकों को भी ट्रेनिंग
झारखंड पैरेंटस एसोसिएशन द्वारा संचालित कोशिश संस्था दिव्यांगों को व्यवसायिक प्रशिक्षण देने में जुटी है. यहां दिव्यांग जनों के प्रशिक्षण को आसान बनाने के लिए मैनुअल मशीनें भी लगायी गयी हैं. युवाओं को पेपर बैग, डिस्पोजल प्लेट, पूजा की बत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इससे होनेवाली आय युवाओं को ही दे दी जाती है. कोशिश है कि दिव्यांगों को व्यवसाय से जोड़ा जाये. संस्था पांच वर्षों से नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही है. साथ ही गर्मी की छुट्टियों में अभिभावकों को भी ऑनलाइन व ऑफलाइन आर्ट एंड क्राफ्ट की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. बिहेवियर साइंस के बारे में अभिभावकों को बताया जाता है, ताकि अभिभावक विशेष बच्चों के व्यवहार को समझकर उनके कार्यों में सहयोग कर सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है