श्रमिक सम्मान किचन : भोजन भी रोजगार भी, कुशल श्रमिकों को मिलेंगे 24,000 रुपये और हेल्पर को 15,000 की होगी आमदनी
कोडरमा में 'श्रमिक सम्मान किचन' की शुरुआत हुई है. इसका उद्देश्य इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर्स में रह रहे प्रवासियों को पौष्टक व गुणवत्तायुक्त भोजन भी मिले और काम के बदले पैसा भी मिले. यानी प्रवासियों को हुनर के अनुसार रोजगार की चिंता से मुक्ति. राज्य सरकार के निर्देशानुसार हर एक को भोजन मिले, इसके लिए जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने एक नयी पहल करते हुए जिले में 'श्रमिक सम्मान किचन' की शुरुआत की है.
रांची : कोडरमा में ‘श्रमिक सम्मान किचन’ की शुरुआत हुई है. इसका उद्देश्य इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर्स में रह रहे प्रवासियों को पौष्टक व गुणवत्तायुक्त भोजन भी मिले और काम के बदले पैसा भी मिले. यानी प्रवासियों को हुनर के अनुसार रोजगार की चिंता से मुक्ति. राज्य सरकार के निर्देशानुसार हर एक को भोजन मिले, इसके लिए जिले के उपायुक्त रमेश घोलप ने एक नयी पहल करते हुए जिले में ‘श्रमिक सम्मान किचन’ की शुरुआत की है. पढ़ें समीर रंजन की यह रिपोर्ट.
झारखंड में प्रवासी मजदूरों का आना जारी है. जिला प्रशासन द्वारा इन प्रवासी मजदूरों की जांच पड़ताल के बाद इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिन सेंटर में रखा जाता है. इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिन सेंटर में प्रवासी मजदूरों को भोजन की परेशानी न हो, इसके लिए कोडरमा जिला उपायुक्त रमेश घोलप ने एक नयी पहल की है. ‘श्रमिक सम्मान किचन’ नाम से इसकी शुरुआत हुई. इंस्टीच्यूशनल कोरोंटिन सेंटर में रह रहे वैसे मजदूरों का चयन किया गया, जो कुशल मजदूर की श्रेणी में आते हो. इसके अलावा अकुशल मजदूरों को मनरेगा के कार्य से जोड़ने की योजना है. हालांकि, इसके लिए प्रवासी मजदूरों को 14 दिनों का इंस्टीच्यूशनल कोरोंटिन अवधि पूरी करनी जरूरी है.
पहले चरण में 6 लोगों का चयन
‘श्रमिक सम्मान किचन’ के लिए वैसे मजदूरों का चयन किया गया, जो बड़े शहरों के अच्छे होटलों में कार्य करते थे. जिले के सतगांवा प्रखंड से पहले चरण में 6 लोगों को इस कार्य के लिए चिह्नित किया गया. इन 6 मजदूरों को ‘श्रमिक सम्मान किचन’ से जोड़ा गया. इसके पीछे उपायुक्त श्री घोलप की सोच है कि बड़े होटलों में कार्य करने वालों के पास खाना बनाने का अच्छा अनुभव है. साथ ही गुणवत्ता पर भी ध्यान रखा जाता है.
घर आने पर रोजगार की चिंता से मिली मुक्ति
कोडरमा जिले में 5000 प्रवासी आ चुके हैं. इन प्रवासियों की खाने की व्यवस्था के तहत ‘श्रमिक सम्मान किचन’ से भोजन उपलब्ध कराने पर कार्य हो रहा है. पहले चरण में 3 इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर्स में रह रहे करीब 300 लोगों के लिए किचन के माध्यम से खाने की व्यवस्था की गयी. इसके लिए 6 लोगों का चयन हुआ, इसमें 2 कुक और 4 हेल्पर हैं. इन्हें कार्य के अनुसार मानदेय भी निर्धारित हुआ है. इसके तहत कुक को प्रतिदिन 800 रुपये और हेल्पर को 500 प्रतिदिन देना है. इस तरह से देखें, तो महिने में कुक को करीब 24,000 रुपये और हेल्पर को करीब 15,000 रुपये मिलेेंगे.
प्रखंड से जिला स्तर तक होगा विस्तार
पहले चरण में 3 इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर्स के हर सेंटर में 100 लोग रह रहे हैं. जिला मुख्यालय के पास से शुरू हुए किचन का विस्तार प्रखंड से लेकर जिला स्तर के इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर में करने की योजना है. उपायुक्त श्री घोलप ने कहा कि जब तक प्रवासियों का आना जारी रहेगा, तब तक किचन के माध्यम से खाने की व्यवस्था की जाते रहेगी. साथ ही, अकुशल मजदूरों के लिए जिला प्रशासन मनरेगा के तहत कार्य उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासरत है.
स्वच्छता व सोशल डिस्टेंसिंग का रखा जाता है ख्याल
उपायुक्त रमेश घोलप ने कहा कि ‘श्रमिक सम्मान किचन’ के दौरान खाना बनाने से लेकर खाना खिलाने तक की सारी प्रक्रिया में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है. साफ-सफाई से जुड़ी वस्तुएं कुक और हेल्पर को दिये जाते हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के पालन पर जोर दिया जाता है.
सामुदायिक किचन व सीएम दीदी किचन से अलग
‘श्रमिक सम्मान किचन’ राज्य में चल रहे अन्य भोजन व्यवस्था की योजना से अलग है. राज्य के विभिन्न थानों में सामुदायिक किचन का संचालन हो रहा है, तो मुख्यमंत्री दीदी किचन गांव-पंचायत के लोगों के लिए किया जा रहा है. अब तो हाइवे पर सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गयी है. लेकिन, इससे ठीक उलट ‘श्रमिक सम्मान किचन’ के माध्यम से सिर्फ इंस्टीच्यूशनल कोरेंटिंन सेंटर्स में रह रहे प्रवासियों को भोजन कराने की व्यवस्था है.