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Ranchi News : पंचायती राज संस्थाओं की राजस्व वसूली पर विभागों ने चुप्पी साधी

राज्य वित्त आयोग ने इस मामले में विभागों से मांगी थी जानकारी. राज्य वित्त आयोग को सात विभागों ने आधे-अधूरे जवाब दिये.

रांची. राज्य वित्त आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं को दी गयी शक्तियों और उनके द्वारा की गयी राजस्व वसूली की जानकारी मांगी थी. आयोग के इस सवाल पर सात विभागों ने आधे-अधूरे जवाब दिये. शेष विभागों ने चुप्पी साध ली. कल्याण विभाग ने अब तक सिर्फ आदिवासी कल्याण आयुक्त से पत्राचार किये जाने की जानकारी दी. मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने यह जानना चाहा कि क्या 72वें और 73वें संविधान संशोधन के आलोक में सिर्फ नोटिफिकेशन हुआ है या उसके अनुपालन के लिए कोई व्यवस्था की गयी है.राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह और सदस्य हरीश्वर दयाल ने 72वें और 73वें संविधान संशोधन के आलोक में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों को दी गयीं शक्तियां, राजस्व वसूली सहित अन्य मुद्दों पर संबंधित विभागों से जानकारी मांगी थी. इन संशोधनों के आलोक में पंचायती राज संस्थाओं को 29 और शहरी स्थानीय निकायों को 18 विषयों से संबंधित शक्तियां प्रत्यायोजित की जानी है. लेकिन, संबंधित विभागों ने आयोग द्वारा उठाये गये सवालों पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

आयोग ने राजस्व के मामले में आंध्रप्रदेश पंचायती राज संस्थाओं और महाराष्ट्र नगर निगम का हवाला देते हुए राजस्व वसूली की जानकारी मांगी थी. इसमें यह कहा गया था कि आंध्रप्रदेश पंचायती राज संस्थाएं अपने राजस्व स्रोतों से सालाना 800 करोड़ रुपये की वसूली करती हैं. इसके मुकाबले झारखंड की पंचायती राज संस्थाएं अपने राजस्व स्रोतों से सालाना कितना राजस्व वसूलती है. अगर वसूलती है, तो किन-किन संपत्तियों से किस-किस नियम के आधार पर राजस्व की वसूली करती है. आयोग ने शहरी स्थानीय निकायों के मामले में महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा था कि वह अपने स्रोतों से 15000 करोड़ सरप्लस राजस्व वसूलता है. लेकिन, झारखंड में यह नगण्य है. आयोग ने लघु खनिजों के मामले में पंचायती राज संस्थाओं की कानूनी स्थिति और सरकार द्वारा इससे संबंधित जारी की गयी अधिसूचनाओं और आदेशों की प्रति मांगी थी. आयोग द्वारा उठाये गये इन सवालों के जवाब में सिर्फ सात विभागों ने आंशिक तौर पर अपना जवाब दिया है. शेष विभागों ने चुप्पी साध ली है.

इन विभागों ने आधे-अधूरे जवाब दिये

जिन विभागों ने आधे-अधूरे जवाब दिये हैं, उसमें पथ निर्माण, पेयजल, योजना विकास, जल संसाधन, वन विभाग और कल्याण विभाग शामिल हैं. पथ निर्माण विभाग ने आयोग को बताया कि उसका विभाग पंचायती राज के राजस्व वसूली संबंधी मामलों में नहीं आता है. कल्याण विभाग ने आयोग को भेजे गये जवाब में अब तक सिर्फ आदिवासी कल्याण आयुक्त के साथ पत्राचार किये जाने का उल्लेख किया है. आयोग ने अपने सवालों के आधे-अधूरे जवाब मिलने के बाद विभागों को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. आयोग ने पंचायती राज विभाग को यह सुझाव दिया है कि वह छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और बंगाल में पंचायती राज संस्थाओं के लिए संसाधनों को जुटाने के लिए अपनाये गये तरीकों का अध्ययन करे. नगर विकास विभाग को भी ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में स्थानीय निकायों के लिए संसाधन जुटाने से संबंधित व्यवस्था का अध्ययन करने का सुझाव दिया गया है.

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