रांची (मुख्य संवाददाता). इलेक्टोरल बांड केवल 16500 करोड़ रुपये के राजनीतिक दलों के चंदा का मामला नहीं है. इसका एक हिस्सा रिश्वत का है. जिन्होंने बांड खरीदा है, उनको सरकारों ने कई तरह से फायदा पहुंचाया है. इसकी जांच होनी चाहिए. एक एसआइटी गठित कर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में जांच होनी चाहिए. ये बातें सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण तथा कॉमन कॉज की अंजलि भारद्वाज ने कहीं.
रांची प्रेस क्लब में रविवार को आयोजित प्रेस वार्ता में श्री भूषण ने कहा कि बांड से जो भी चंदा मिला, उसमें करीब शत-प्रतिशत वैसे दलों को मिला, जो कहीं ना कहीं सत्ता में थे. सबसे अधिक चंदा भाजपा को करीब 8251 करोड़ रुपये दिये गये. इसे लाने से पहले केंद्र की सरकार ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, कंपनी अधिनियम और आयकर अधिनियम में संशोधन किया था. इसको सूचना अधिकार के दायरे से भी बाहर कर दिया था. इसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी. 15 फरवरी 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया. बांड की आगे की बिक्री पर रोक लगा दी.शराब घोटाले के आरोपी को फायदा पहुंचाया गया
श्री भूषण ने कहा कि बांड खरीदनेवालों को सरकार ने अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाया. हैदराबाद के एक व्यवसायी को इडी ने शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था. उनकी कंपनी ने पांच करोड़ रुपये का बांड खरीद कर भाजपा को दिया. उस व्यवसायी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इडी ने विरोध नहीं किया. जेल से रिहा होने के बाद व्यवसायी सरकारी गवाह बन गये. बाद में उस व्यवसायी ने 25 करोड़ का बांड खरीद कर भाजपा को दिया. एक और इंजीनियरिंग व इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनी ने 140 करोड़ के चुनावी बांड में से 130 करोड़ रुपये भाजपा को दिये. इस कंपनी को एक माह पहले ही मुंबई में 14000 करोड़ रुपये का काम मिला था.घाटे में चल रही कंपनियों ने भी चंदा दिया
श्री भूषण ने कहा कि घाटे में चल रही कई कंपनियों ने भी बांड के माध्यम से चंदा दिया. यह ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए किया गया. बड़ी कंपनियों ने ऐसा शेल कंपनियों के माध्यम से किया. बांड खरीद कर भाजपा को देने वाली एक फार्मा कंपनी की घटिया व खतरनाक दवाइयों को बाजार में बिकने दिया गया. वक्ताओं ने कहा कि इस घोटाले का पर्दाफाश होना चाहिए. अदालत की निगरानी में एसआइटी के गठन के लिए कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है