‘झुकना झारखंड के DNA में ही नहीं’, सीता सोरेन के JMM छोड़ने पर कल्पना सोरेन का पहला रिएक्शन आया सामने
झारखंड में लोकसभा चुनाव से पहले JMM को बड़ा झटका लगा है. शिबू सोरेन की बहु और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन बीजेपी में शामिल हो गई. इस घटनाक्रम के बाद झारखंड की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है. वहीं, कल्पना सोरेन का इस मामले पर पहला रिएक्शन सामने आया है.
JMM : झारखंड में लोकसभा चुनाव से पहले JMM को बड़ा झटका लगा है. शिबू सोरेन की बहु और दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन बीजेपी में शामिल हो गई. इस घटनाक्रम के बाद झारखंड की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है. वहीं, कल्पना सोरेन का इस मामले पर पहला रिएक्शन सामने आया है. कल्पना सोरेन ने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से पोस्ट करते हुए इस मामले पर अपनी टिप्पणी लिखी है. उन्होंने अपने पोस्ट में दुर्गा सोरेन और हेमंत सोरेन की तस्वीर साझा की है. साथ ही उन्होंने दुर्गा सोरेन और हेमंत सोरेन के बीच की घनिष्टता का जिक्र किया है.
भाई नहीं पिता तुल्य रहे दुर्गा सोरेन – कल्पना सोरेन
हेमंत सोरेन के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखते हुए कल्पना सोरेन ने बताया कि हेमंत सोरेन के लिए दिवंगत दुर्गा सोरेन केवल बड़े भाई के रूप में नहीं बल्कि पिता तुल्य रहे है. साथ ही उन्होंने जिक्र किया कि साल 2006 में जब उनकी शादी हुई तो उन्होंने इस परिवार का हिस्सा बनने के बाद यह देखा कि कैसे हेमंत सोरेन अपने बड़े भाई के प्रति आदर और समर्पण का भाव रखते थे और दुर्गा सोरेन हेमंत सोरेन के प्रति प्यार का.
‘राजनीति में नहीं आना चाहते थे हेमंत सोरेन, आर्किटेक्ट बनना था सपना‘
पोस्ट में इस बात की जानकारी भी दी गई कि हेमंत सोरेन राजनीति में नहीं आना चाहते थे लेकिन दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उन्हें आना पड़ा. कल्पना सोरेन ने लिखा कि हेमंत सोरेन ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमंत सोरेन को चुन लिया. कल्पना सोरेन ने बताया कि हेमंत सोरेन आर्किटेक्ट बनना चाहते थे. लेकिन, परिस्थितियों की वजह से उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा.
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कैसे हुआ था JMM : का उदय
कल्पना सोरेन ने झामुमो का उदय क्यों हुआ इस बात का बखान करते हुए आगे लिखती है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था. झामुमो आज झारखण्ड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रही है. आदरणीय बाबा एवं स्व दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ी थी उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमंत जी जेल चले गये. वे झुके नहीं. उन्होंने एक झारखंडी की तरह लड़ने का रास्ता चुना. वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है. झारखण्डी के DNA में ही नहीं है झुक जाना.