ब्लैक लिस्टेड व विवादित कंपनियों को कौशल विकास का काम

ब्लैक लिस्टेड कंपनियों और इडी की जांच में फंसी कंपनियों को राज्य में कौशल विकास का काम दिया गया है. आरटीआइ एक्टीविस्ट सुनील महतो ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर जांच की मांग की है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 31, 2024 11:21 PM

रांची. ब्लैक लिस्टेड कंपनियों और इडी की जांच में फंसी कंपनियों को राज्य में कौशल विकास का काम दिया गया है. आरटीआइ एक्टीविस्ट सुनील महतो ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर मामले की विस्तृत जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है. साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण के नाम पर सरकारी राशि के गबन का आरोप लगाया है. मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में कहा गया कि इस मामले की शिकायत पहले विभागीय सचिव से की गयी थी. शिकायती पत्र के साथ ब्लैक लिस्टेड कंपनियों की सूची सहित अन्य ब्योरा भी उपलब्ध कराया गया था. इसके अलावा इडी की जांच में फंसे विशाल चौधरी की कंपनी का चयन भी प्रशिक्षण के लिए किया गया था. सचिव को दिये गये शिकायती पत्र में यह आरोप भी लगाया गया था कि मुख्यमंत्री सारथी योजना में 417.00 करोड़ रुपये का गबन किया गया है. इस वित्तीय गड़बड़ी के लिए फाइनेंस हेड, मैनेजर, लेखापाल आदि पर आरोप लगाये गये थे. मुख्य सचिव को दिये गये शिकायती पत्र में कहा गया है कि कौशल प्रशिक्षण के लिए 2023-24 में पांच निविदाएं प्रकाशित की गयी थीं. निविदा शर्तों के अनुसार कौशल प्रशिक्षण में चुने जाने के लिए तीन प्रमुख शर्तें निर्धारित थी. इसके तहत कंपनी को ब्लैक लिस्टेड नहीं होना चाहिए. कंपनी का टर्नओवर पिछले पांच साल के दौरान पांच करोड़ रुपये होना चाहिए. पिछले पांच साल में कंपनी का नेटवर्थ 50 करोड़ रुपये होना चाहिए. शिकायती पत्र में कहा गया है कि कौशल प्रशिक्षण के निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करनेवाले और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों का चयन किया गया है. इसके अलावा बिहार के वैसे एनजीओ को भी इंपैनल किया गया, जो इन निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करते हैं. शिकायती पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकारी आंकड़ों में 2023-24 में कौशल विकास मिशन द्वारा खर्च 417.57 करोड़ रुपये दिखाया गया है. इसके मुकाबले सिर्फ 6424 लोगों को ही रोजगार मिल पाने का उल्लेख किया गया है.

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