Electricity Production News : लक्ष्य 697 मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पादन का था, हुआ सिर्फ 100 मेगावाट
आनेवाला समय गैरपारंपरिक ऊर्जा का है. पर्यावरण और अंतरराष्ट्रीय शर्तों को पूरा करने के लिए देश ऊर्जा के कई विकल्पों पर काम कर रहा है. भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फॉसिल फ्यूल (कोयला व अन्य प्रदूषण वाले कारक) के बिजली उत्पादन कम करने की बात कही है.
मनोज सिंह (रांची). आनेवाला समय गैरपारंपरिक ऊर्जा का है. पर्यावरण और अंतरराष्ट्रीय शर्तों को पूरा करने के लिए देश ऊर्जा के कई विकल्पों पर काम कर रहा है. भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फॉसिल फ्यूल (कोयला व अन्य प्रदूषण वाले कारक) के बिजली उत्पादन कम करने की बात कही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि धीरे-धीरे कोयला से आधारित बिजली का उत्पादन कम होगा. कई राज्यों ने इस पर गंभीरता से प्रयास शुरू कर दिया है. झारखंड ने इस दिशा में शुरुआती कदम बढ़ाया है. कोयला बहुल राज्य ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश काफी तेजी से गैर पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोतों पर काम कर रहा है. बिहार भी इस दिशा में काफी काम कर चुका है. झारखंड इस क्षेत्र में बिहार से भी पीछे है.
झारखंड में करीब 52 गीगावाट सौर ऊर्जा की संभावना
गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आइ-फॉरेस्ट) ने झारखंड में गैर पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत पर काम किया है. यहां गैर पारंपरिक ऊर्जा की संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार की है. इसके अनुसार झारखंड में करीब 52 गीगावाट सौर ऊर्जा की संभावना है. करीब 22 गीगावाट पवन ऊर्जा पर भी यहां काम हो सकता है. करीब तीन गीगावाट बाॅयोमास एनर्जी की संभावना है. यह कोयले से मिलनेवाली ऊर्जा की जरूरत को पूरा कर सकता है. इसके अतिरिक्त दूसरे राज्यो के लिए यह बड़ा बाजार भी हो सकता है.
झारखंड को मात्र तीन गीगावाट की ही जरूरत
झारखंड को अभी मात्र तीन गीगावाट बिजली की जरूरत है. अगर झारखंड अगले 10 साल में पांच गीगावाट बिजली की खपत करता है, तो भी 30 से 40 गीगावाट बिजली यह दूसरे राज्यों को बेच सकता है. इससे राज्य को बड़ा राजस्व प्राप्त हो सकता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि झारखंड का मौसम सौर एनर्जी के अनुकूल है.
बंजर भूमि के उपयोग से 10 साल तक राज्य को मिल सकती है सौर ऊर्जा
सोलर एनर्जी और अन्य पर्यावरणीय मुद्दे पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था आइ-फॉरेस्ट के अनुसार राज्य में सबसे अधिक सौर ऊर्जा की संभावना गिरिडीह जिले में है. अगर यहां की बंजर भूमि का उपयोग कर लिया जाये, तो अगले 10 साल तक राज्य को अकेले सौर ऊर्जा दे सकती है. यहां करीब 6500 वर्गमीटर से अधिक बंजर भूमि है. इस पर करीब 6.5 गीगावाट सौर ऊर्जा की संभावना है. इसके अतिरिक्त पलामू, बोकारो, सरायकेला-खरसांवा, हजारीबाग, देवघर और दुमका में दो से तीन गीगावाट सौर ऊर्जा की संभावना है.
2022 में ही सोलर नीति बनायी है झारखंड ने
झारखंड ने 2022 में झारखंड राज्य सौर नीति (जेएसएसपी) बनायी है. 2024 में झारखंड विद्युत नियामक आयोग (जेइआरसी) ने राज्य के लिए हरित ओपेन एक्सेस नियम भी स्थापित किया है. दोनों की कदम झारखंड में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में एक कदम है. 2024 तक राज्य सरकार ने 697 मेगावाट सोलर एनर्जी का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में करीब 100 मेगावाट गैरपारंपरिक ऊर्जा की झारखंड तैयार कर पाया है.
झारखंड का मौसम सौर एनर्जी के अनुकूल है
सामान्य रूप से लोग यह कहते हैं कि झारखंड में गैर पारंपरिक ऊर्जा की संभावना बहुत कम है. ऐसा नहीं है. हम लोगों ने अध्ययन कराया है. गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में झारखंड संभावनाओं वाला राज्य है. यहां जमीन और पानी की कमी नहीं है. जमीन पर सौर उर्जा लगा सकते हैं. फ्लोटिंग सोलर प्लांट भी लगा सकते हैं. करीब 52 गीगावाट सौर उर्जा की संभावना इस राज्य में है. यह राज्य की जरूरत से बहुत अधिक है.
चंद्रभूषण, सीइओ, आइ-फारेस्टडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है