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स्पीकर ने ही कार्रवाई के बदले तीसरे आयोग के गठन का दिया था आदेश

विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले में कार्रवाई करने के बदले विधानसभा अध्यक्ष ने तीसरे आयोग के गठन का आदेश दिया था. इसी आदेश के तहत राज्य सरकार ने आयोग का गठन किया था. इस आयोग के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय के नाम का प्रस्ताव महाधिवक्ता ने दिया था.

शकील अख्तर (रांची).

विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले में कार्रवाई करने के बदले विधानसभा अध्यक्ष ने तीसरे आयोग के गठन का आदेश दिया था. इसी आदेश के तहत राज्य सरकार ने आयोग का गठन किया था. इस आयोग के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय के नाम का प्रस्ताव महाधिवक्ता ने दिया था. राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में दायर शपथ पत्र में उक्त तथ्यों का उल्लेख किया है. राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में दायर शपथ पत्र में कहा गया है कि जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के तहत राज्यपाल सचिवालय ने कार्रवाई करने और सीबीआइ जांच कराने का निर्देश दिया था. पर विधानसभा अध्यक्ष ने जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के आलोक में राज्यपाल द्वारा की गयी अनुशंसाओं के मुद्दे पर कानूनी राय मांगी थी. अध्यक्ष के इस आदेश पर विधानसभा ने ही महाधिवक्ता से राय मांगी थी. महाधिवक्ता ने कानूनी राय देते हुए लिखा कि ‘जस्टिस विक्रमादित्य आयोग’ की रिपोर्ट न तो सरकार के समक्ष पेश की गयी है और न ही विधानसभा में उपस्थापित की गयी है. ‘जस्टिस विक्रमादित्य आयोग’ की अनुशंसाओं और उसकी कानूनी पेचीदगियों की जांच के लिए ‘स्पेसिफिक टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ के आधार पर एक आयोग का गठन किया जाना चाहिए. रिपोर्ट सरकार के बदले विधानसभा को देने का प्रावधान किया गया : महाधिवक्ता की कानूनी राय के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग के गठन का निर्देश राज्य सरकार को दिया. इसके बाद राज्य सरकार ने ‘कमीशन ऑफ इंक्वायरी एक्ट-1952’ के तहत जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग के गठन का फैसला किया. सरकार के फैसले के आलोक में मंत्रिमंडल निगरानी ने 21 सितंबर, 2022 को तीसरे आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की. इसके बाद 20 सितंबर, 2023 को इस अधिसूचना में संशोधन किया. इसके तहत आयोग को अपनी रिपोर्ट सरकार के बदले विधानसभा को देने का प्रावधान किया गया.

हाइकोर्ट ने प्रस्तावित किये थे पूर्व के दो आयोग के अध्यक्षों के नाम :

यहां यह उल्लेखनीय है विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले की न्यायिक जांच के लिए आयोग के अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव हाइकोर्ट से मांगा गया था. पहले आयोग के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस लोकनाथ प्रसाद और दूसरे आयोग के अध्यक्ष जस्टिस विक्रमादित्य की नियुक्ति हाइकोर्ट द्वारा प्रस्तावित नाम को आलोक में की गयी था. तीसरे आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तावित नाम के आलोक में की गयी.

पहले ही ले चुके थे जस्टिस मुखोपाध्याय की सहमति :

महाधिवक्ता ने तीसरे आयोग के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय का नाम प्रस्तावित किया था. विधानसभा को दी गयी अपनी राय में उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय नौकरी से संबंधी कानूनी मामलों के ज्ञाता हैं. इसलिए उनकी अध्यक्षता में आयोग का गठन किया जा सकता है. उन्होंने अपनी कानूनी राय में यह भी लिखा कि उन्होंने पहले ही जस्टिस मुखोपाध्याय से इस मामले में बात करके उनकी सहमति भी ले ली है.

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