स्पंज आयरन के निदेशक महाबीर प्रसाद रूंगटा ने बेनामी कंपनी से खरीदा लौह अयस्क, ED की जांच में खुलासा
इडी ने जांच में पाया कि चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी ने मेसर्स रूंगटा माइंस को फॉर्म-डी चालान (9769901 से 9769989 तक) जारी किया था, लेकिन रूंगटा माइंस के नाम पर जारी इस 89 चालान का इस्तेमाल रामगढ़ स्पंज आयरन के निदेशक महाबीर प्रसाद रूंगटा द्वारा किया गया था.
रामगढ़ स्पंज आयरन के निदेशक महाबीर प्रसाद रूंगटा ने अस्तित्वविहीन कंपनी से 262.42 मीट्रिक टन लौह अयस्क खरीदा. सिर्फ इतना ही नहीं उन्हीं की रूंगटा माइंस के कथित रूप से गायब हुए माइनिंग चालान का इस्तेमाल भी कई इस्पात कंपनियों को लौह अयस्क बेचने में किया गया. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने रामगढ़ स्पंज आयरन के मामले की जांच के दौरान रूंगटा द्वारा की गयी इस जालसाजी को पकड़ा है.
इडी ने जांच में पाया कि चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी ने मेसर्स रूंगटा माइंस को फॉर्म-डी चालान (9769901 से 9769989 तक) जारी किया था, लेकिन रूंगटा माइंस के नाम पर जारी इस 89 चालान का इस्तेमाल रामगढ़ स्पंज आयरन के निदेशक महाबीर प्रसाद रूंगटा द्वारा किया गया था. महाबीर रूंगटा ने इन चालानों के सहारे 262.42 एमटी लौह अयस्क की खरीद मेसर्स मां तारनी मेटल्स के माध्यम से दिखायी थी. चालानों का गलत इस्तेमाल कर लौह अयस्क खरीदने के लिए मां तारनी मेटल्स को लौह अयस्क खदान लीज धारक के रूप में दिखाया गया था.
इडी ने जांच में पाया कि मां तारनी मेटल्स का कहीं कोई अस्तित्व नहीं है. पूछताछ के दौरान रामगढ़ स्पंज आयरन का कोई कर्मचारी मां तारनी का पता-ठिकाना नहीं बता सका, जबकि इन चालानों के सहारे लौह अयस्क की ढुलाई रामगढ़ स्पंज तक की गयी थी. इडी ने जांच में पाया कि 89 चालानों के सहारे अवैध खनन से निकाले गये लौह अयस्क की खरीद-बिक्री दिखायी गयी थी. इससे महाबीर रूंगटा को 59.25 लाख रुपये की नाजायज आमदनी हुई थी.
इसे बैंक में टर्म डिपॉजिट के रूप में रखा गया, जो बढ़ कर 75.58 लाख रुपये हो गया. इडी ने अस्तित्व विहीन कंपनी के लौह अयस्क खरीदने के मामले में महाबीर प्रसाद रूंगटा से पूछताछ की. इसमें रूंगटा ने मां तारनी से लौह अयस्क खरीदने और उसे भुगतान करने का दावा किया. हालांकि, बार-बार समय दिये जाने के बावजूद वह मां तारनी मेटल्स को किये गये भुगतान से संबंधित कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सके.
इडी ने रामगढ़ स्पंज आयरन के मामले की जांच के दौरान यह भी पाया कि महाबीर रूंगटा ने रूंगटा माइंस के कथित रूप से गायब माइनिंग चालान का भी इस्तेमाल किया. बाकी पेज 15 पर
इन चालानों के सहारे इस्पात कंपनियों को लौह अयस्क की बिक्री की गयी. इडी ने जांच में पाया कि चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी द्वारा रूंगटा माइंस के नाम पर चालान(9256201 से 9256300 तक और 11015444 से 11015500 तक) जारी किया गया था. इसमें से 64 चालानों का इस्तेमाल फर्जी तरीके से मयूर इस्पात के नाम पर किया गया. साथ ही मयूर इस्पात के नाम से कमल कुमार सिंघानिया की कंपनी तिरुपति बालाजी इंटरप्राइजेज को लौह अयस्क की बिक्री दिखायी गयी.
रूंगटा माइंस ने इन चालानों के इस्तेमाल का कोई रिटर्न जिला खनन पदाधिकारी के कार्यालय में नहीं दिया. रूंगटा माइंस की ओर से स्थानीय थाने में कुछ चालानों के गायब होने की शिकायत दर्ज करायी गयी. जांच के दौरान गायब बताये गये कुछ चालानों का इस्तेमाल अवैध लौह अयस्क की ढुलाई के इस्तेमाल में पाया गया. जांच में यह भी पाया गया कि तिरुपति बालाजी ने 156 परिवहन चालानों का गलत इस्तेमाल करते हुए मेसर्स भूषण पावर एंड स्टील और मेसर्स मोनेट इस्पात एंड एनर्जी को लौह अयस्क की ढुलाई की और बेचा.
तिरुपति बालाजी ने 2423.30 एमटी लौह अयस्क भूषण स्टील को और 3680.58 एमटी लौह अयस्क मोनेट स्टील को बेचा. बदले में बैंक के माध्यम से 1.02 करोड़ रुपये का भुगतान लिया. इडी ने जब इस मामले में मयूर इस्पात से पूछताछ की, तो उनकी ओर से कहा गया कि इस मामले में उनके नाम का गलत इस्तेमाल किया गया है.
रिपोर्ट- शकील अख्तर