झारखंड: खेल मंत्री हफीजुल हसन ने टेंडर रद्द करने का दिया आदेश, JSSPS के CEO बोले-यह तर्कसंगत नहीं, ये है मामला
झारखंड सरकार और सीसीएल की संयुक्त इकाई जेएसएसपीएस ने मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सुरक्षा के लिए आउटसोर्सिंग के जरिये सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया था. इसके लिए 11 मई को पहली बार 135 सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया गया.
रांची: झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएसपीएस) ने सुरक्षाकर्मियों की सेवा आउटसोर्सिंग से लेने के लिए टेंडर निकाला था. टेंडर कमेटी ने सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अर्हता पूरी करनेवाली एजेंसी को कार्य भी आवंटित कर दिया, जिसे खेल मंत्री हफीजुल हसन ने रद्द करने का आदेश दिया है. खेल मंत्री के आदेश के बाद जेएसएसपीएस ने इस पर कार्रवाई नहीं करते हुए मंत्री को ही जवाब भेज दिया. इसके बाद खेल विभाग और जेएसएसपीएस आमने-सामने हो गये हैं.
खेल मंत्री हफीजुल हसन को टेंडर में गड़बड़ी की मिली थी जानकारी
दरअसल, झारखंड सरकार और सीसीएल की संयुक्त इकाई जेएसएसपीएस ने मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सुरक्षा के लिए आउटसोर्सिंग के जरिये सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया था. इसके लिए 11 मई को पहली बार 135 सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया गया. तीन मई को इसे रद्द कर दो जून को दूसरी बार टेंडर जारी किया गया. टेंडर कमेटी ने सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक अगस्त को अर्हता पूरी करनेवाली एजेंसी को कार्य आवंटित कर दिया. इस बीच खेल मंत्री हफीजुल हसन को इस टेंडर में गड़बड़ी की जानकारी मिली. उन्होंने पांच अगस्त को जेएसएसपीएस के लोकल मैनेजमेंट कमेटी (एलएमसी) के सीइओ जीएस राठौर को पत्र लिख कर इस टेंडर को रद्द करने का आदेश दिया.
सीईओ ने मंत्री को पत्र लिख दिया जवाब
एलएमसी के सीइओ जीएस राठौर ने खेल मंत्री के टेंडर रद्द करने के आदेश पर कार्रवाई नहीं करके आठ अगस्त को उनको (मंत्री को) जवाब भेज दिया. पत्रांक सीइओ/एलएमसी/जेएसएसपीएस/2023/1175 में सीइओ ने लिखा : चूंकि निविदा समिति द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए इसे अनियमितताओं की संभावनाओं के आधार पर रद्द करना टेंडर कमेटी को तर्कसंगत नहीं लगता है. हालांकि, पत्र में सीइओ ने यह भी लिखा है कि आपके (मंत्री के) पत्र को गंभीरता से लेते हुए टेंडर कमेटी पूरी फाइल को जेएसएसपीएस की कार्यकारी समिति (एक्जीक्यूटिव काउंसिल) के समक्ष पुनः जांच व निर्देश के लिए प्रस्तुत करती है, ताकि इस तरह की अनियमितता स्थानीय प्रबंधन समिति (एलएमसी) के द्वारा कभी न हो और नयी निविदा की प्रक्रिया के समुचित दिशा निर्देश प्राप्त हो.