वर्ष 2020 का श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान झारखंड के साहित्यकार रणेंद्र को दिये जाने की घोषणा हुई है. झारखंड में यह पुरस्कार पाने वाले रणेंद्र पहले साहित्यकार हैं. यह पुरस्कार उन्हें 31 जनवरी 2021 को दिल्ली में प्रदान किया जायेगा. पुरस्कार स्वरूप उन्हें एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र और 11 लाख रुपये का चेक प्रदान किया जायेगा.
पुरस्कार की घोषणा होने पर रणेंद्र जी ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि इस पुरस्कार की उम्मीद नहीं की थी. यह अकल्पनीय है. लेकिन मैं यह कहूंगा कि ऐसे पुरस्कारों से मनोबल बढ़ता है और मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपने लिए जो क्षेत्र चुना उसमें और बेहतर कर पाऊंगा.
सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ नित्यानंद तिवारी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने रणेंद्र का चुनाव इस पुरस्कार के लिए किया.चयन समिति में वरिष्ठ कथाकार चंद्रकाता, कवि-पत्रकार विष्णु नागर, लेखक प्रो रवि भूषण, वरिष्ठ आलोचक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और वरिष्ठ कवि डॉ दिनेश कुमार शुक्ल शामिल थे.
रणेंद्र से पहले यह पुरस्कार विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव,मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकात त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर और महेश कटारे को मिल चुका है. इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी. यह पुरस्कार मुख्यत: ग्रामीण परिवेश और हाशिए के लोगों पर लेखन के लिए दिया जाता है.
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रणेंद्र ने का जन्म 1960 में बिहार के नालंदा जिले में हुआ था. इनके लेखन का मुख्य विषय आदिवासी जीवन है. अपने पहले उपन्यास ‘ग्लोबल गांव के देवता’ से ही वे चर्चा में आ गये थे. गायब होता देश उपन्यास में भी इन्होंने आदिवासी जीवन के संघर्ष का चित्रण किया. इनका कहानी संग्रह ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’ पिछले साल प्रकाशित हुआ था और ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ उपन्यास प्रकाशित होने वाला है.
Posted By : Rajneesh Anand