झारखंडी भाषा साहित्य के पुरोधा थे श्रीनिवास पानुरी, टीआरएल के खोरठा विभाग में दी गयी श्रद्धांजलि
पानुरी जी खोरठा ही नहीं, झारखंडी भाषा साहित्य के संदर्भ में सदैव वंदनीय और पूजनीय रहेंगे. हमारा दायित्व है कि हम झारखंडी भाषाओं में उत्कृष्ट लेखन कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएं.
रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय के खोरठा विभाग में शुक्रवार (22 दिसंबर) को खोरठा के अग्रणी साहित्यकार श्रीनिवास पानुरी की 103वीं जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष कुमारी शशि ने की. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि खोरठा के महान साहित्यकार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए. खोरठा को स्थापित करने में पानुरी जी ने अप्रतीम योगदान दिया था. उन्होंने छात्र-छात्राओं को खोरठा भाषा व साहित्य के विकास में योगदान के लिए प्रेरित किया. टीआरएल संकाय के समन्वयक डॉ हरि उरांव ने कहा कि आज हम जिस जगह पर खड़े हैं, वह पानुरी जी जैसे झारखंडी दूरदर्शी पुरोधाओं के त्याग, तपस्या का ही परिणाम है. पानुरी जी खोरठा ही नहीं, झारखंडी भाषा साहित्य के संदर्भ में सदैव वंदनीय और पूजनीय रहेंगे. हमारा दायित्व है कि हम झारखंडी भाषाओं में उत्कृष्ट लेखन कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएं. विशिष्ट अतिथि डीएसपीएमयू के खोरठा विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने श्रीनिवास पानुरी के व्यक्तित्व के अलावे उनकी रचनाओं के साहित्यिक मूल्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने छात्रों एवं नवोदित लेखकों को पानुरी के साहित्यिक मानक एवं विशेषताओं को आत्मसात कर लिखने की सलाह दी.
डॉ उमेश नंद तिवारी ने पानुरी से मुलाकात को किया याद
नागपुरी की विभागाध्यक्ष डॉ सविता केशरी ने पानुरी को झारखंडी चेतना जगाने वाला रचनाकार बताया. वहीं, प्राध्यापक डॉ उमेश नंद तिवारी ने पानुरी से हुई मुलाकात को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं चिंतन को साझा किया. डॉ तिवारी ने कहा कि उस समय के रचनाकारों ने झारखंडी चेतना को झकझोरने का काम किया था. इनके अलावा प्राध्यापक डॉ अरविंद कुमार, डॉ अर्चना कुमारी, डॉ नकुल कुमार, डॉ रितु घासी, भुवनेश्वर महतो, शोधार्थी बसंत कुमार, विक्की मिंज, छात्रा बेबी कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
Also Read: मांय माटी: खोरठा भाषा-साहित्य के अग्रणी योद्धा थे श्रीनिवास पानुरी
कार्यक्रम को सफल बनाने में इनकी रही अहम भूमिका
कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष कुमारी शशि, संचालन डॉ दिनेश कुमार दिनमणि एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ निरंजन कुमार ने किया. शोधार्थी संदीप कुमार महतो ने श्रीनिवास पानुरी के सम्मान में खोरठा गीत ‘पानुरी जी तोहर चरणे प्रणाम’ एवं छात्रा पुष्पा कुमारी ने गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में अजय कुमार, माणिक चंद्र, थानेश्वर महतो, मालती कुमारी, सोनी कुमारी, मानदेव, शिवकुमार जायसवाल, उबेदुल्लाह अंसारी, अमित करमाली व अन्य ने अहम भूमिका निभाई.
Also Read: विनय तिवारी की खोरठा कविताएं – मिटे नायं दिहा माटिक मान और मानुसे मानुस के मारे लागल
ये लोग भी थे उपस्थित
मौके पर प्राध्यापक डॉ गीता कुमारी सिंह, डॉ मेरी एस सोरेंग, डॉ बीरेंद्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, डॉ बंदे उरांव, डॉ सरस्वती गागराई, गुरुचरण पूर्ति, राजकुमार बास्की, डॉ अजय कुमार, कुमारी कंचन वर्णवाल के अलावा संकाय के अन्य प्राध्यापक, शोधार्थी एवं स्टूडेंट्स मौजूद थे.