Industrial News : माइक्रो फूड इंडस्ट्री में एसटी-एससी उद्यमी छाये

झारखंड में प्रधानमंत्री फाॅर्मालाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (पीएमएफएमइ) स्कीम के तहत 419 आदिवासी व 153 अनुसूचित जाति के उद्यमियों ने माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगायी है. इनमें मिलेट, मधु व लघु वनोत्पाद से लेकर अचार, सत्तू, बेसन, बेकरी से लेकर दुग्ध आधारित यूनिट लगायी गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2024 12:35 AM
an image

रांची. झारखंड में प्रधानमंत्री फाॅर्मालाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (पीएमएफएमइ) स्कीम के तहत 419 आदिवासी व 153 अनुसूचित जाति के उद्यमियों ने माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगायी है. इनमें मिलेट, मधु व लघु वनोत्पाद से लेकर अचार, सत्तू, बेसन, बेकरी से लेकर दुग्ध आधारित यूनिट लगायी गयी है. पीएमएफएमइ योजना वर्ष 2022 में केंद्र सरकार ने शुरू की थी. इसमें 40 प्रतिशत भागीदारी राज्य सरकार की भी है.

अब तक 2594 यूनिट लग चुकी हैं राज्य में

इस योजना के तहत वर्ष 2026 तक 6040 माइक्रो फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का लक्ष्य है. अब तक राज्य में 2594 यूनिट लग चुकी हैं. उद्योग विभाग ने इससे संबंधित रिपोर्ट तैयार करायी है. उद्योग विभाग ने पीएमएफएमइ योजना के सामाजिक आर्थिक प्रभाव पर भी रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार, 2594 उद्यमियों में 419 उद्यमी आदिवासी समुदाय व 153 अनुसूचित जाति के हैं. सर्वाधिक 1482 उद्यमी ओबीसी वर्ग से हैं. जबकि, 540 सामान्य वर्ग से आते हैं. इन सभी उद्यमियों में 911 महिला व 1683 पुरुष हैं. पीएमएफएमइ स्कीम से किसान व छोटे व्यवसायी सशक्त बन रहे हैं. उनके उत्पादों की गुणवत्ता सुधरी है और बाजार में पहुंच हुई है. झारखंड फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में बदलाव व बढ़ते रोजगार का वाहक बन रहा है. पीएमएफएमइ योजना के तहत कृषि/वन उत्पाद प्रसंस्करण उद्योग (मड़ुवा, इमली, चिरौंजी) लगाने पर 35 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान है.

कुदरूम से लेकर रुगड़ा पर भी है जोर

उद्योग विभाग का प्रयास है कि झारखंड के कुछ यूनिक उत्पादों से संबंधित उद्योग लगे. इसमें कुदरूम, रुगड़ा, बांस के करील, लाल चावल व काला चावल को भी प्रोसेसिंग बाजार में लाने की योजना पर काम चल रहा है.

रेडी टू कुक से लेकर मिलेट तक की यूनिट

गेहूं के उत्पादों की 488, धान व चावल आधारित 457, तेल बीज की 278, दुग्ध उत्पाद की 260, रेडी टू इट की 209, मसालों की 186, बेकरी की 143, दाल आधारित उत्पादन की 87, रेडी टू कुक की 55, चना आधारित 54 व अचार की 51 यूनिट लग चुकी है. इसके अलावा चारा की 49 यूनिट, मत्स्य व पोल्ट्री की 46, मशरूम की 33, सब्जियों के प्रोसेसिंग की 30, फलों से संबंधित 29, बेवरेज की 19, मक्का उत्पाद की 19, मिलेट की 11, गन्ना की नौ यूनिट लग चुकी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version