रांची. नाटक ””एक गधे की आत्म कथा”” का मंचन रंग दर्पण के कलाकारों ने किया. यह मंचन जेएफटीए स्टूडियो थिएटर में सोमवार को हुआ. इसमें दिखाया गया कि कैसे एक गांव में धोबिन का गधा गुम हो जाता है. परेशान धोबिन अपने गधे को खोजते हुए हर दरवाजे पर दस्तक देती है. इस दौरान उसकी मुलाकात एक बाबा से होती है, जो कहता है कि गधा मेरे आश्रम में होगा, लेकिन वहां भी नहीं मिलता है. परेशान धोबिन एक सिपाही से अपनी व्यथा सुनाती है. सिपाही कहता है कि गधा गाने गया है और विश्वास दिलाता है कि उसे ढूंढ लिया जायेगा. बावजूद गधा नहीं मिलता. दर-दर ठाेकर खाकर धाेबिन एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति से टकराती है और व्यथा सुनाती है. वह व्यक्ति गधे ढूंढने का उपाय निकालता है और नेता से मिलने की सलाह देता है. वहीं नेता गधे को सामाजिक मुद्दा बना देता है. राजनीतिक दंश में फंसा गधा अंतत: नहीं मिलता. मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति हंसते हुए कहता है कि अपने गधे को बचा लो, नहीं तो उसे सामाजिक प्रतिस्पर्धा उसकी जान ले लेगी. हास्य और सामाजिक व्यंग्य के साथ नाटक का समापन होता है, जो गुमशुदा की तलाश में बेबस इंसान के विफल होने की व्यथा को जाहिर करता है. निर्देशक रोहित कुमार पांडेय ने बताया कि कृष्ण चंद्र के उपन्यास को नाटककार अख्तर अली ने नाट्य रूप दिया है. इससे समाज की पीड़ा को दर्शाने की कोशिश की गयी है. नाटक के मुख्य पात्र में किरणमय, रवि, अनूप, आकांशा, अनमोल, शिवांग, सोनिया, स्वेता, शुभम, कुंदन ने मंच को बांधे रखा. इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ अनिकेत भारद्वाज, डॉ अनिल ठाकुर, डॉ कमल कुमार बोस, कुमकुम गौड़, सूरज खन्ना, ऋषिकेश लाल, शिवम मनोहरन, राजीव सिन्हा मौजूद थे.
””एक गधे की आत्मकथा”” का मंचन
नाटक ''एक गधे की आत्म कथा'' का मंचन रंग दर्पण के कलाकारों ने किया. यह मंचन जेएफटीए स्टूडियो थिएटर में सोमवार को हुआ.
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