स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच की मांग को लेकर निकाला गया न्याय मार्च, CM हेमंत ने दी श्रद्धांजलि
फादर स्टेन स्वामी की मौत मामले में न्यायिक जांच की मांग को लेकर रांची में न्याय मार्च निकाला गया. बीते साल ही उनकी मौत आज ही के दिन हो गयी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
रांची : फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा द्वारा आज मंगलवार को शहीद चौक से राजभवन तक न्याय मार्च निकाला गया. इसके जरिये फादर स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच की मांग की गयी. इस दौरान यूएपीए कानून को वापस करने की मांग की गयी. ज्ञात हो कि आज ही के दिन फादर स्टेन स्वामी की मौत हो गयी थी. वे मौत से पहले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. स्टेन स्वामी की पुण्यतिथि पर सीएम हेमंत सोरेन ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि गरीब, शोषित, वंचित और आदिवासी समाज के हक-अधिकार के लिए हमेशा लड़ने वाले फादर स्टेन स्वामी जी की पुण्यतिथि पर शत-शत नमन. वंचितों के उत्थान के प्रति उनका समर्पण और उनकी आवाज हमेशा अमिट रहेगी. आपको बता दें कि फादर स्टेन स्वामी को एल्गार परिषद केस में गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में कुल 9 एक्टिविस्टों को गिरफ्तार किया गया था. उन्हीं में से एक फादर स्टेन स्वामी भी थे. इसके साथ साथ वे भीमा कोरेगांव मामले में भी आरोपी थे.
कौन हैं फादर स्टेन स्वामी
फादर स्टेन स्वामी झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता थे. जो मूल रूप से तमिलनाडु के निवासी थे. समाजशास्त्र से एमए करने के बाद वे बेंगलुरू स्थित इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट में काम किया. लेकिन, झारखंड आने के बाद शुरुआत दिनों में उन्होंने पादरी का काम किया. धीरे-धीरे से आदिवासी और वंचित समूह के अधिकारों की आवाज उठाते हुए झारखंड में विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन की स्थापना की. वहीं, राजधानी रांची के नामकुम क्षेत्र में आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल और टेक्निकल ट्रेनिंग संस्थान की भी शुरुआत की थी
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फादर की गिरफ्तारी का किया था विरोध
फादर स्टेन स्वामी के गिरफ्तारी का सीएम हेमंत सोरेन ने भी विरोध किया था. उन्होंने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा था कि भाजपा सरकार वृद्ध फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर क्या संदेश देना चाहती है.
एनआइए के अधिकारियों ने कहा था- माओवादी की गतिविधियों में थे सक्रिय
फादर स्टेन स्वामी को एनआइए ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद एनआइए के अधिकारियों ने कहा था कि वो भाकपा माओवादी की गतिविधियों में सक्रिय रूप से लिप्त थे. एनआइए का ये भी आरोप था कि वे अन्य साजिशकर्ताओं- सुधीर धवले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गैडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंजाल्विस, हेनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े के साथ समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने की खातिर संपर्क में थे.