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UPSC में नहीं हुए सफल तो एडुजार्स नामक ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म किया शुरू, आज बनी मिलियन टर्नओवर की कंपनी

अभिजीत की कंपनी अपने शुरुआती साल से ही मुनाफे में रही है. एडुजार्स का आइडिया राज्य सरकार को भी पंसद आया, जिसकी वजह से 2019 में कंपनी को 1.30 लाख की फंडिंग मिली

:अभिषेक रॉय:

सफल स्टार्टअप के हजारों आइडिया आपके आसपास ही होते हैं, जरूरत होती है बस उसे अलग नजरिये से देखने-परखने की. वर्ष 2016 तक रांची के एक निजी स्कूल में बतौर मैथ्स टीचर के रूप में योगदान देनेवाले नामकुम के अभिजीत वर्मा यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे. उसी दौरान उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में तेजी से आ रहे बदलावों को भांप लिया था. यूपीएससी में सफलता नहीं मिली, तो उन्होंने शिक्षण को ही अपना स्टार्टअप बनाया.

स्कूल की सैलेरी और बच्चों को पढ़ाकर कुल 90 हजार रुपये जोड़े. इन पैसों से उन्होंने अपना स्टार्टअप ‘इ-ज्ञान सागर’ शुरू किया, जो वर्तमान में ‘एडुजार्स प्रालि’ के नाम से प्रचलित है. यह एक ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म है, जहां वेबसाइट व ऐप के जरिये विद्यार्थियों को ऑनलाइन क्लास रूम, ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्टडी मटीरियल उपलब्ध कराया जाता है. अभिजीत की कंपनी अपने शुरुआती साल से ही मुनाफे में रही है. एडुजार्स का आइडिया राज्य सरकार को भी पंसद आया, जिसकी वजह से 2019 में कंपनी को 1.30 लाख रुपये की फंडिंग मिली. इसके बाद से अभिजीत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. सात साल में एडुजार मल्टी मिलियन टर्नओवर की कंपनी बन चुकी है,

दोस्त के कोचिंग से की शुरुआत :

अभिजीत ने अपने दोस्त प्रत्युष कुमार सिंह के कोचिंग में ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम को लांच किया. मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने के साथ ऑडियो और वीडियो कंटेंट उपलब्ध कराया. जल्द ही शहर के कई संस्थान और स्कूल ने एडुजार्स को अपनाया. आज राज्य के अलावा बिहार, पुणे, बेंगलुरु, दिल्ली, यूएस और ऑस्ट्रेलिया से भी विद्यार्थी एडुजार्स से जुड़ने लगे हैं.

एडुजार्स ने एनइपी के मानकों को जोड़ा

2020 से नयी शिक्षा नीति लागू होने के बाद आइटी परामर्श के लिए शशि मिश्रा और रोहित प्रकाश प्रीत बतौर निदेशक कंपनी से जुड़े. इसके बाद स्टार्टअप के साथ कई मानक जोड़े गये. साथ ही बहुत कम फीस पर ऑनलाइन नये पाठ्यक्रम सिखाना शुरू किया गया. अभिजीत कहते हैं कि एडुजार्स अब सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, कोडिंग, रोबोटिक्स समेत अन्य कोर्स करा रही है. रांची, हजारीबाग, गढ़वा, लोहरदगा के अलावा बिहार के कई शैक्षणिक संस्थानों से समझौते के तहत लगभग 5000 से अधिक बच्चों को ऐसे कोर्स कराये जा रहे हैं. कंपनी का उद्देश्य वाजिब खर्च पर डेवलपर तैयार करना है.

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