स्टार्टअप: कारोबारियों से लेकर आमलोगों तक को ऐसे लॉजिस्टिक सपोर्ट दे रहा आसिफ इकबाल का माई ढोला
स्टार्टअप ‘माई ढोला’ के तहत छोटे और बड़े समान की डिलिवरी की जाती है. इसका लाभ मार्केट के होलसेलर और खुदरा व्यवसायी को मिल रहा है. इसके एवज में व्यवसायियों को किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता.
रांची. अभिषेक रॉय. शहर के व्यवसायी अक्सर अपने सामान की डिलिवरी सस्ती कीमतों में कराने को लेकर परेशान रहते थे. विकल्प होने के बावजूद अक्सर कीमत, समय और सुरक्षित डिलिवरी को लेकर उलझन बनी रहती थी. इनवेस्टमेंट बैंकर आसिफ इकबाल ने व्यवसायियों की इस परेशानी को महसूस किया और इसे दूर करने में जुट गये. मूल रूप से इटकी के रहनेवाले आसिफ ने कोरोना काल में लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम को डेवलप किया. इससे लोगों के घर दवा, राशन, ऑक्सीजन सिलिंडर समेत अन्य सामान पहुंचाये गये. आसिफ इसे ही अपने लाइफ का टर्निंग प्वाइंट मानते हैं. ट्रायल लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम को सफलता मिली. जून 2021 में नौकरी छोड़ खुद के स्टार्टअप ‘माई ढोला’ को आगे बढ़ाने में जुट गये. कंपनी बिजनेस-टू-बिजनेस (बी-टू-बी) और बिजनेस-टू-कस्टमर (बी-टू-सी) मॉडल पर काम कर रही है. आसिफ बताते हैं कि प्रोटोटाइप मॉडल पर शुरू की गयी कंपनी महीने-दर-महीने आगे बढ़ रही है. आनेवाले महीनों में कंपनी बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज करने को तैयार है.
किफायती दर पर समान की सुरक्षित डिलिवरी
स्टार्टअप ‘माई ढोला’ के तहत छोटे और बड़े समान की डिलिवरी की जाती है. इसका लाभ मार्केट के होलसेलर और खुदरा व्यवसायी को मिल रहा है. इसके एवज में व्यवसायियों को किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता. आसिफ कहते हैं कि झारखंड के मार्केट में कई लॉजिस्टिक ब्रांड हैं, जो सामान के रेट में 20 से 30 फीसदी का कमीशन या फिर मंथली सब्सक्रिप्शन चार्ज करते हैं. जबकि, माई ढोला प्लेटफॉर्म किफायती दर पर और तय समय पर समान की सुरक्षित डिलिवरी की गारंटी देती है.
सैकड़ों लोगों को मिल रहा रोजगार
आसिफ कहते हैं कि डिलिवरी के काम से कॉलेज स्टूडेंट से लेकर फुल टाइम कॉमर्शियल ऑटो या बड़ी गाड़ी के चालक जुड़ रहे हैं. बीते दो वर्षों में रांची के अलावा आसपास के क्षेत्र के चालकों को माई ढोला ऐप के जरिये जोड़ा गया है. ऐप से चालक को रजिस्टर कर उन्हें पिकअप और डिलिवरी प्वाइंट की जानकारी दे दी जाती है. बिजनेस इंटरप्राइज को पहले ही डिलिवरी पर्सन के आसपास होने की जानकारी दे दी जाती है. इससे चालक को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता. डिलिवरी प्वाइंट से ही नया काम मिलने से चालक को नुकसान नहीं उठाना पड़ता. डिलिवरी के काम से अब तक 3000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं. आसिफ मारवाड़ी कॉलेज के सत्र 2011 से एमबीए इन मार्केटिंग एंड फाइनांस से पासआउट है. 2011 से 2021 तक विभिन्न निजी बैंक से जुड़े रहने के बाद स्टार्टअप की शुरुआत की. बताया कि स्टार्टअप को एक्सएलआरआइ जमशेदपुर और आइएमटी गाजियाबाद ने इंक्यूबेशन के लिए चुना है.