रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार जल्द ही भूमि अधिग्रहण व मुआवजा विवाद का निदान करेगी. इसको लेकर विस्थापन आयोग का गठन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से विभिन्न लोक उपक्रमों, डैम और खनन कार्यों के लिए भूमि का अधिग्रहण हुआ है, लेकिन इनका विवाद नहीं सुलझ पाया है.
सरकार इन मामलों को लेकर गंभीर है. सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून-2013 लाया है. इसमें चार गुणा मुआवजा भुगतान का प्रावधान है, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने इसकी अवहेलना की. राज्य में सीएनटी-एसपीटी का सख्त कानून होने के बावजूद यहां के लोगों ने जमीन दी. उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण इनमें रोष व्याप्त है. विधायक अंबा प्रसाद ने ध्यानाकर्षण सूचना के तहत पकड़ी-बरवाडीह के विस्थापितों को उचित मुआवजा नहीं दिये जाने का सवाल उठाया.
कहा कि यहां पर कोल वेयरिंग एक्ट के तहत लोगों की जमीन का अधिग्रहण कराया गया है. इसमें लोगों को काफी कम मुआवजा दिया जा रहा है. इसको लेकर आक्रोश है. विस्थापितों ने इसको लेकर आंदोलन भी किया. इसमें पुलिस की गोली से ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. विस्थापित भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के तहत चार गुणा मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं. विस्थापितों को कम से कम 80 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा व नौकरी दिलाया जाना चाहिए.
विधायक प्रदीप यादव ने भी अंबा प्रसाद की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में वहां की जमीन का मूल्य 20 लाख रुपये प्रति एकड़ है. एेसे में विस्थापितों को 80 लाख मुआवजा दिया जाना चाहिए. विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि कोल वेयरिंग एक्ट में मुआवजा के साथ-साथ विस्थापितों के पुनर्वास व नौकरी देने का भी प्रावधान किया गया है. ऐसे में विस्थापितों को मुआवजा के साथ-साथ उनके पुनर्वास व नौकरी देना चाहिए.