स्टोन माइनिंग लीज मामले में हाईकोर्ट की तरफ से सीएम हेमंत को नोटिस, झारखंड सरकार ने दी ये सफाई

झारखंड हाईकोर्ट ने स्टोन माइनिंग लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस दिया है. इस संबंध में सरकार का यह कहना कि यह पुराना लीज है, एक्सटेंशन दिया गया है, गलत है. यह 2007 की लीज है और जिसकी अवधि साल 2018 तक थी

By Prabhat Khabar News Desk | April 9, 2022 6:40 AM

रांची: अनगड़ा में स्टोन माइनिंग लीज मामले में दायर पीआइएल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट ने प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद मामले को गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले में हेमंत सोरेन (खान मंत्री) को नोटिस जारी किया. मौखिक रूप से कहा कि यह काफी गंभीर मामला लगता है. ऐसा लगता है कि खान विभाग में सबकुछ ठीक नहीं है. नोटिस तामिला होने के बाद मामले की सुनवाई होगी.

सरकार का कहना कि पुराना लीज है, एक्सटेंशन मिला है, गलत है : इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि मुख्यमंत्री व खान मंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर दिसंबर 2021 में स्टोन माइनिंग का लीज लिया है. इंवायरमेंटल क्लियरेंस भी लिया गया है. माइनिंग लीज की रजिस्ट्री भी करायी गयी है. ये सारे दस्तावेज रिकॉर्ड पर हैं. चूंकि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री व खान विभाग के भी मंत्री है, इसलिए संविधान का अनुच्छेद 191 (1) लागू होता है.

यह मामला ऑफिस ऑफ प्रोफिट के दायरे में आता है. सरकार का यह कहना कि यह पुराना लीज है, एक्सटेंशन दिया गया है, गलत है. डीसी ने स्वत: लिखा है कि वर्ष 2021 में दो लोगों को नया लीज मिला है. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि याचिका में कोई फैक्ट नहीं है. यह पुराना मामला है. वर्ष 2007 का लीज है. इसकी अवधि वर्ष 2018 तक थी. इसे एक्सटेंशन दिया गया है. प्रार्थी ने पब्लिसिटी के लिए याचिका दायर की है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने पीआइएल दायर की है.

शेल कंपनियों में निवेश को लेकर सुनवाई :

एक दूसरे मामले में शेल कंपनियों (कागजी कंपनी) में निवेश को लेकर दायर पीआइएल पर भी खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने और 350 शेल कंपनियों से संबंधित दस्तावेज दायर करने के लिए खंडपीठ से समय देने का आग्रह किया. खंडपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने के लिए कहा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिव शंकर शर्मा ने पीआइएल दायर कर 28 शेल कंपनियों में करोड़ों रुपये निवेश करने का आरोप लगाया है.

Posted By: Sameer Oraon

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