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Jharkhand: रांची में आवारा कुत्तों का आतंक, 18 दिन में 604 लोग हुए शिकार, जानें क्या है हिंसक होने की वजह

रांची में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है. इन दिनों रोजाना डॉग बाइट के 30 से ज्यादा मामले आ रहे हैं. विशेषज्ञों है कि मॉनसून कहना न के मौसम में कुछ विशेष कारणों से कुत्तों की आक्रामकता बढ़ जाती है.

रांची: राजधानी में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है. मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल में इन दिनों रोजाना डॉग बाइट के 30 से ज्यादा मामले आ रहे हैं. जबकि, पिछले 18 दिनों में डॉग बाइट के 604 मामले आये हैं. इस बीच 14 जुलाई को डॉग बाइट के शिकार सबसे ज्यादा 69 इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे. विशेषज्ञों का कहना है कि मॉनसून के मौसम में कुछ विशेष कारणों से कुत्तों की आक्रामकता बढ़ जाती है. ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है.

दीपाटोली रोड नंबर-5 के श्री बालाजी अपार्टमेंट के गार्ड मंटू कुमार ने बताया कि इलाके के आवारा कुत्ते इतने आक्रामक हो चुके हैं कि उनके डर से हर समय मुख्य दरवाजा बंद रखना पड़ रहा है. इनमें से कई कुत्तों को गंभीर चोट और स्किन की बीमारी है. 14 जुलाई की शाम में चेशायर होम रोड स्थित शांतिपुरम में घर के सामने खेल रहे नौ साल के आरूष राज को स्ट्रीट डॉग ने काट लिया.

ऐसी कई घटनाओं के शिकार बच्चे व लोग रोजाना इलाज कराने और एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेने के लिए सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं. कई बच्चे तो इतनी गंभीर अवस्था में सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं कि उन्हें डे-केयर में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है. यहां पिछले एक महीने में 3,338 लोगों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन दिये जा चुके हैं. सबसे खास बात यह है कि डॉग बाइट के 90 फीसदी मामले राजधानी के शहरी इलाके के हैं.

कोकर, हिंदपीढ़ी, मधुकम, रातू रोड व चुटिया में डॉग बाइट की घटनाएं ज्यादा

सदर अस्पताल में हर दिन पहले से लेकर चौथे डोज के लिए हर रोज एक से डेढ़ सौ एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जा रहा है. इसमें कोकर, हिंदपीढ़ी, मधुकम, रातू रोड, चुटिया इलाके से सबसे ज्यादा केस आते हैं. वहीं, बाहरी इलाकों के मामले 10% से भी कम हैं.

बारिश में भीगने से हो जाते हैं चिड़चिड़े

होप संस्था के मैनेजर नंदन शर्मा बताते हैं कि बारिश बारिश से बचने की कोशिश में आवार कुत्ते कभी गाड़ी के नीचे, तो कभी किसी शेड के नीचे खड़े हो जाते हैं. आमलोग इन्हें पत्थर मारकर भगाने की कोशिश करते हैं, तो कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं.

भूख की वजह से भी हो जाते हैं हिंसक

श्री शर्मा कहते हैं कि अन्य दिनों की तुलना में स्ट्रीट डॉग को बरसात में खाना भी कम मिलता है. वे खाने की तलाश में होटलों और ढाबों के आसपास भटकते हैं. जब लोग उन्हें वहां से भगाने की कोशिश करते हैं, तो वे हिंसक हो जाते हैं.

मेटिंग के समय भी होते हैं आक्रामक

तीसरा कारण यह है कि बरसात के दिनों में ही अधिकतर कुत्ते मेटिंग भी करते हैं. इस कारण भी थोड़े गुस्सैल व हिंसक हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि लोग उनके ऊपर हमला कर सकते हैं, इस कारण उनका बर्ताव बदल जाता है.

बरतें सावधानी

वाहन या पैदल से कहीं जा रहे हैं और कुत्तों का झुंड मिल जाये, तो बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए. अगर आप बाइक पर हैं और कुत्ते आपके पीछे दौड़ रहे हैं, तो बाइक को तेज दौड़ाने की बजाय, उसे धीमा कर दें. कुत्ता खुद लौट जायेगा.

अगर आप पैदल हैं या आपके साथ अगर कोई बच्चा है और सड़क पर कुत्ता का झुंड दिख जाये, तो भी घबरायें नहीं. आराम से निडर होकर कुत्ते के बगल से गुजर जायें. उन्हें पत्थर मारकर या उन्हें सड़क से हटाने की कोशिश न करें.

Posted By: Sameer Oraon

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