रांची : राज्य भर के मनरेगा कर्मियों की हड़ताल के मुद्दे पर गुरुवार को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ संघ के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता विफल हो गयी. इसके बाद मनरेगाकर्मियों ने हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया. संघ के सचिव जॉन पीटर बागे ने कहा कि विभाग की ओर से किसी भी मांग पर स्पष्ट सहमति नहीं थी. स्थायीकरण एवं वेतनमान की मांग पर असमर्थता जतायी गयी.
मानदेय बढ़ोतरी के विषय में भी बढ़ोतरी की राशि स्पष्ट नहीं बतायी गयी. दुर्घटना बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा की राशि भी स्पष्ट नहीं की गयी. न ही इस संबंध में कोई लिखित आश्वासन देने को विभाग तैयार था. केवल मौखिक रूप से कहा गया कि मांगें मानी जायेगी. ऐसे में संघ ने हड़ताल पर रहने का फैसला लिया है. झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के साथ मंत्री ने प्रोजेक्ट भवन स्थित अपने कक्ष में वार्ता की. इस दौरान विभाग की सचिव आराधना पटनायक भी उपस्थित थीं.
पांच में से तीन मांग पर थे सहमत : वार्ता के बाद मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सभी बिंदुओं पर बात हुई. पांच में से तीन मांगों को पूरा करने पर सरकार सहमत थी. वार्ता के दौरान मनरेगाकर्मियों ने भी सहमति जतायी थी. मंत्री ने कहा कि बाहर निकलने के बाद मनरेगाकर्मी पलट गये. अब सरकार इस पर निर्णय लेगी.
प्रदेश अध्यक्ष को रोका, नाराजगी : संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि वार्ता में प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडे को शामिल होने नहीं दिया गया. उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया. कहा गया कि उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है. ऐसे में वह भाग नहीं ले सकते हैं. इस बात से संघ के सदस्यों में नाराजगी है. उनका कहना है कि बिना अध्यक्ष के वह कैसे बात कर सकते हैं. इसके बावजूद उन्होंने वार्ता में भाग लिया.
काम पर लौट जायें मनरेगाकर्मी, मांगों पर होगा विचार : मंत्री : मनरेगाकर्मियों के साथ वार्ता विफल होने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने मनरेगाकर्मियों से कहा है कि वे काम पर लौट गये सरकार उनकी हर मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को तैयार हैं. अधिकांश मांगों पर सहमति भी बन गयी थी और उनकी ओर से काम पर वापस लौटने का भी भरोसा दिलाया गया, लेकिन बाद में कुछ नेता अलग तरीके से बात करने लगे.
उन्होंने कहा कि सरकार सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि बीडीओ-सीओ अक्सर उन्हें हटा देते हैं, इस संबंध में अब यह निर्णय लिया गया है कि बीडीओ-सीओ उनसे स्पष्टीकरण पूछेंगे और जवाब संतोषजनक होने पर उन्हें नहीं हटाया जायेगा.
वहीं यदि उन्हें हटा दिया जाता है, तो वे प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील भी कर सकते हैं. सरकार इपीएम और अन्य सहायता के माध्यम से रिटायर मनरेगा कर्मियों को एकमुश्त अच्छी राशि उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए वे चिंता छोड़ कर काम पर वापस लौट जायें.
Post by : Pritish Sahay