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मजदूरी कर पढ़ाई की, मैट्रिक सेकेंड डिवीजन से पास किया चार बार यूपीएससी में सम्मिलित हुए और आइएएस बने

कोरोना और लॉकडाउन से रोजी-रोजगार की समस्या पैदा तो हुई है, पर यह स्थायी नहीं है. यह जरूर एक कठिन दौर है, जो सिर्फ झारखंड या भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है. लेकिन इसे गुजर जाना है. कई लोग छोटी-छोटी परेशानियों, बाधाओं व दुखों से अवसाद में चले जाते हैं, जो उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है. लेकिन मानव जीवन अनमोल है. यह व्यर्थ गंवाने के लिए नहीं, बल्कि संघर्ष कर मिसाल बनाने के लिए है. प्रभात खबर इस समस्या के अहम बिंदुओं को उजागर करने का प्रयास कर रहा है.

सुनील कुमार झा, रांची : स्कूली पढ़ाई में कम अंक आने के बाद भी कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने आगे चल कर विभिन्न क्षेत्रों में शानदार सफलता हासिल की. मैट्रिक, इंटर व स्नातक की परीक्षा में सेकेंड-थर्ड डिवीजन से पास करनेवाले भी आइएएस बने हैं. ऐसे में कभी भी बोर्ड परीक्षा में कम अंक आने से निराश नहीं होना चाहिए. झारखंड से सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी मुखत्यार सिंह मैट्रिक व स्नातक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की थी. चार बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए. तीन बार सफल रहे, पर जब तक प्रशासनिक सेवा में चयन नहीं हुआ परीक्षा में शामिल होते रहे.

मुखत्यार सिंह मूल रूप से हरियाणा के रहनेवाले हैं. श्री सिंह बताते हैं कि उनके परिवार की अार्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. मैट्रिक की परीक्षा के बाद रिजल्ट जारी होने तक बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में मजदूर का काम किया. प्रतिदिन 2.15 रुपये मजदूरी मिलती थी. सेकेंड डिवीजन से मैट्रिक की परीक्षा पास की. मजदूरी से जो पैसे मिले, उससे आगे नामांकन कराया. जो बच गये उससे अपने व माता-पिता के लिए कपड़ा खरीदा.

पहले आयकर व फिर पुलिस सेवा के लिए हुए चयनित : श्री सिंह पहली बार 1973 में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए. पहली बार सफलता नहीं मिली. इसके बाद दूसरी बार चयन तो हुआ पर उन्हें आयकर सेवा मिली. इसके बाद अगली परीक्षा में शामिल हुए थे भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयनित हुए.

श्री सिंह ने ठान रखी थी, जब तक उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए नहीं होगा, तब तक वे परीक्षा देते रहेंगे. 1975 में वे फिर एक बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए. इस बार उन्हें प्रशासनिक सेवा और बिहार कैडर मिला. बंटवारे के बाद वे झारखंड में वित्त सचिव, विकास अायुक्त समेत कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला. मुखत्यार सिंह झारखंड शिक्षा न्यायाधीकरण, विद्युत नियामक बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे.

सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी मुखत्यार सिंह ने पढ़ाई के लिए मजदूरी की

मैट्रिक व स्नातक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की, नौकरी करते हुए यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए

पहली बार असफल रहे, िफर आयकर फिर पुलिस सेवा के लिए चयनित हुए , अंत में आइएएस बने

छुट्टी के दिनों में साइकिल कंपनी में काम किया

कॉलेज की पढ़ाई में पैसे की आवश्यकता हुई तो साइकिल कंपनी में काम करने लग गये. कंपनी में मजदूर के काम के लिए लाइन में खड़े थे. बाद में मैनेजर ने उनकी परिस्थिति को देखते हुए छुट्टी के दिनों में काम करने की अनुमति दी. इसके बाद श्री सिंह छुट्टी के दिनों में साइकिल कंपनी में काम करते थे. उन्हें प्रति माह 115 रुपये वेतन मिलता था.

श्री सिंह बताते हैं कि स्नातक परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की. इस बीच उनका चयन दिल्ली में यूडीसी में हो गया. नौकरी ज्वाइन करने बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ में नामांकन ले लिया. लॉ करने के बाद दिल्ली में मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट में चयन हुआ.

Post by : Pritish Sahay

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