Subhash Chandra Bose Jayanti : झारखंड के इस रेलवे स्टेशन पर आखिरी बार देखे गये थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस, पढ़िए कैसे अंग्रेजों की नजर से बचे और जंगल में की गुप्त बैठक
Subhas Chandra Bose Jayanti 2021, Ranchi News, रांची न्यूज : 23 जनवरी 2021 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है. नेताजी का झारखंड से काफी लगाव रहा है. खासकर धनबाद उनका काफी आना-जाना लगा रहता था. बताया जाता है कि ये आखिरी बार झारखंड में देखे गये थे. झारखंड के धनबाद के गोमो जंक्शन पर इन्हें आखिरी बार देखा गया था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में रेल मंत्रालय ने वर्ष 2009 में गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो जंक्शन कर दिया.
Subhas Chandra Bose Jayanti 2021, Ranchi News, रांची न्यूज : 23 जनवरी 2021 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है. नेताजी का झारखंड से काफी लगाव रहा है. खासकर धनबाद उनका काफी आना-जाना लगा रहता था. बताया जाता है कि ये आखिरी बार झारखंड में देखे गये थे. झारखंड के धनबाद के गोमो जंक्शन पर इन्हें आखिरी बार देखा गया था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में रेल मंत्रालय ने वर्ष 2009 में गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो जंक्शन कर दिया.
Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti: ऐसा कहा जाता है कि 17-18 जनवरी 1941 की रात को नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने भतीजे डॉ शिशिर बोस के साथ कार से झारखंड के धनबाद जिले के गोमो स्टेशन पहुंचे थे और अंग्रेजों से बचकर गोमो हटियाटाड़ के जंगल में छिपे रहे. बताया जाता है कि जंगल में ही स्वतंत्रता सेनानी अलीजान और अधिवक्ता चिरंजीव बाबू के साथ इन्होंने गुप्त बैठक की थी. इसके बाद इन्हें गोमो के ही लोको बाजार स्थित कबीलेवालों की बस्ती में एक घर में छिपाकर रखा गया था.
जानकारी के अनुसार रातभर कबीलेवालों की बस्ती में रहने के बाद 18 जनवरी 1941 की रात को इनके दोनों साथियों ने गोमो स्टेशन से उन्हें कालका मेल से दिल्ली रवाना किया था. इसलिए गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद बोस जंक्शन रखा गया. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में रेल मंत्रालय ने वर्ष 2009 में गोमो स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो जंक्शन कर दिया. इतना ही नहीं, 23 जनवरी 2009 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इनके स्मारक का लोकार्पण किया था.
Subhas Chandra Bose Birth Anniversary: सुभाष चंद्र बोस का 1930 से 1941 के बीच कई बार धनबाद आना हुआ था. 1930 में उन्होंने देश की पहली रजिस्टर्ड टाटा कोलियरी मजदूर संगठन की स्थापना की थी. ये इस संगठन के अध्यक्ष थे और यहीं से उन्होंने मजदूरों को संगठित करने का प्रयास शुरू किया था.
Posted By : Guru Swarup Mishra