Subhash Chandra Bose Jayanti 2021, Ranchi News, रांची न्यूज (अभिषेक रॉय ) : स्वतंत्रता संग्राम में शायद ही ऐसी कोई शख्सीयत है, जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस की तरह रोमांच पैदा करती हो. कोलकाता के अपने घर से पठान के वेश में पेशावर होते काबुल जानेवाले नेताजी हमेशा रहस्यमय बने रहे. मां-बाप की 14 संतानों में नौवें नंबर पर विराजमान इस विराट पुरुष की हवाई दुर्घटना में हुई मौत आज भी अपुष्ट व संदिग्ध है. इसमें कोई संदेह नहीं कि नेताजी के नेतृत्व में 30-35 हजार युद्ध बंदियों के एकजुट होकर अपने देश की स्वतंत्रता के लिए किये गये संघर्ष जैसा कोई अन्य दृष्टांत दुनिया में दिखायी नहीं देता. इन्हीं नेताजी की आज 125वीं जयंती है. केंद्र सरकार ने इस दिन को पराक्रम दिवस घोषित किया है. झारखंड से भी नेताजी की ढेरों यादें जुड़ी हुई हैं. आज इन्हीं यादों को हम फिर से जीते हैं.
आजाद हिंद फौज के नायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस 1940 के दशक में कई बार झारखंड आये. इस दौरान नेताजी लालपुर स्थित मित्र फणींद्रनाथ आयकत के घर रुका करते थे. यहीं नेताजी ने 20 मार्च 1940 को रामगढ़ में आयोजित होनेवाले 53वें कांग्रेस अधिवेशन की रणनीति तैयार की थी. इस अधिवेशन में हिस्सा लेने महात्मा गांधी भी रामगढ़ पहुंचे थे. नेताजी उन दिनों नजरबंद रहते थे. अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए चक्रधरपुर के रास्ते रांची पहुंचे थे.
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नेताजी ने रांची तक पहुंचने के लिए अपने दोस्त व क्रांतिकारी डॉ यदुगोपाल मुखर्जी, डॉ फनींद्रनाथ चटर्जी और फनींद्रनाथ आयकत की मदद ली. 17 मार्च को नेताजी को लाने फनींद्रनाथ आयकत अपने मित्र सह डॉ फनींद्रनाथ चटर्जी की फोर्ड गाड़ी लेकर चक्रधरपुर गये थे. रांची आने के बाद नेताजी ने अपने दोस्तों और आस-पास रहनेवाले लोगों के साथ मिलकर घंटों देश की राजनीति और स्वतंत्रता संघर्ष पर चर्चा की थी.
Posted By : Guru Swarup Mishra