माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या का खुलासा रांची पुलिस ने कर दिया है. हत्या की साजिश जमीन कारोबारी छोटू खलखो ने रची. उसने रातू के हुरहुरी निवासी और कुख्यात शूटर बबलू पासवान को सुभाष मुंडा की हत्या के लिए 15 लाख रुपये की सुपारी दी थी. पांच लाख रुपये एडवांस में दिया. इसके बाद बबलू ने बिहार से दो शूटरों को बुलाया और 26 जुलाई की रात करीब पौने नौ बजे दलादली स्थित ऑफिस में सुभाष मुंडा की हत्या करा दी. छोटू खलखो ने सुभाष मुंडा की हत्या नगड़ी पेट्रोल पंप के पास स्थित कीमती भूखंड समेत तीन प्लॉट के लिए करायी.
सुभाष के विरोध के कारण छोटू उस जमीन को नहीं ले पा रहा था. इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए छोटू ने सुभाष मुंडा के करीबी विनोद महतो को भी अपनी ओर मिला लिया. पुलिस हिरासत में पूछताछ के बाद छोटू खलखो ने उक्त बातें कही. छोटू के बाद सुभाष के करीबी विनोद महतो व अभिजीत को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, सुभाष मुंडा जमीन का कारोबार दो भाई विनोद महतो व बसंत महतो के नाम पर करता था.
इनमें से विनोद को छोटू ने अपने साथ प्रलोभन देकर मिला लिया. उसने विनोद से कहा कि जिस जमीन पर सुभाष मुंडा हमें काम करने नहीं दे रहा है, उस पर जब हम काम करेंगे तब तुमको भी शेयर देंगे. साथ ही समझाया कि जो जमीन सुभाष ने तुम्हारे नाम से लिया है. सुभाष के मरने के बाद वह भी तुम्हारा हो जायेगा. इसके बाद विनोद साथ देने को तैयार हो गया. छोटू ने उसे सुभाष मुंडा के हर गतिविधि की जानकारी देने को कहा.
इसके बाद छाेटू खलखो ने एक व्यक्ति की मदद से अंतरराज्यीय अपराधी बबलू पासवान से संपर्क किया और सुभाष मुंडा की हत्या के लिए उसे 15 लाख में सुपारी दी. बिहार से आये शूटरों ने घटना को अंजाम दिया और फरार हो गये. पुलिस बबलू पासवान व उसके दो शूटरों की तलाश में लगातार छापामारी कर रही है. बबलू पासवान के खिलाफ रांची, सिमडेगा व गुमला के अलावा ओड़िशा के सुंदरगढ़ व राउरकेला में पांच दर्जन से अधिक केस है. वर्ष 2007 में ब्रह्मपुर कोर्ट में उसने एक कैदी को मारने की सुपारी ली थी. उस वक्त वहां पुलिस से हुई मुठभेड़ में उसके पैर में गोली लगी थी. बाद में वह जमानत पर जेल से बाहर आ गया था.
पुलिस के अनुसार, सुभाष मुंडा की हत्या के बाद दलादली चौक पर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया गया था. जाम का नेतृत्व विनोद व उसके भाई बसंत महतो कर रहे थे. दोनों भाई दहाड़ मारकर रो रहे थे और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे भी लगा रहे थे.
पुलिस की जांच में यह बात सामने आयी है कि जिस वक्त दोनों शूटरों ने माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या की, उस वक्त बसंत महतो वहां मौजूद था. इससे पुलिस कयास लगा रही थी कि शूटरों को हो सकता है उसने ही बुलाया हो. हालांकि, घटना के बाद बसंत से पुलिस ने पूछताछ की थी, लेकिन उसने घटना में संलिप्तता से इनकार किया था.