Success Story: कभी चूल्हा-चौका संभालती थीं प्रीति देवी, आज हैं लखपति, कैसे बदली जिंदगी?
Success Story: एक वक्त था जब लोहरदगा की प्रीति देवी सिर्फ घर का कामकाज संभालती थीं. वर्ष 2015 में उनकी जिंदगी में बदलाव आया. वह महिला समूह में जुड़ीं. ब्यूटी पार्लर और सिलाई कर लखपति बन गयीं. पढ़िए उनकी कामयाबी की कहानी.
Success Story: कभी घर का चूल्हा-चौका संभालनेवाली लोहरदगा की प्रीति देवी आज लखपति बन गयी हैं. इलाके में उनकी अपनी पहचान है. शादी के बाद वह घर की देहरी के अंदर सिमट कर रह गयी थीं. महिला समूह से जुड़कर उनकी जिंदगी बदल गयी. आइए जानते हैं कैसे उन्होंने सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर आर्थिक आजादी की राह पर आगे बढ़कर कामयाबी की नयी इबारत लिखी?
वाणी महिला मंडल से जुड़कर जीवन में आया बदलाव
झारखंड के लोहरदगा जिले के सेन्हा ब्लॉक के सेन्हा गांव की रहनेवाली प्रीति देवी शादी के बाद कई वर्षों तक घर की चहारदीवारी में ही सिमटी रहीं. घर का कामकाज संभालती रहीं, लेकिन 2015 में जब उन्होंने वाणी महिला मंडल से जुड़ने का फैसला किया, तब उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया. महिला समूह से जुड़ने के बाद प्रीति ने नियमित रूप से बैठकों में जाना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्हें रोजगार के नए-नए साधनों के बारे में जानकारी मिली. इस दौरान उनके मन में आत्मनिर्भर बनने की सोच जगी और वक्त के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा.
ब्यूटी पार्लर औ सिलाई मशीन से बढ़ी आमदनी
महिला समूह की दूसरी महिलाओं की तरह प्रीति देवी ने भी थोड़ी-थोड़ी बचत करनी शुरू की. इसके बाद उन्होंने समूह से 40 हजार का कर्ज लिया और एक ब्यूटी पार्लर खोल लिया. पार्लर से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी. हर महीने करीब 12 हजार रुपए कमाने लगीं. इसके बाद उन्होंने एक सिलाई मशीन भी खरीद ली और कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया. इससे हर महीने लगभग चार-पांच हजार की अतिरिक्त कमाई होने लगी. इस तरह सालभर में उनकी कुल कमाई डेढ़ लाख रुपए से अधिक तक पहुंच गयी और वह ‘लखपति दीदी’ बनने में कामयाब हो गयीं.
घर का कामकाज संभालते हुए बनीं लखपति दीदी
प्रीति देवी पढ़ी-लिखी हैं और महिला समूह में हमेशा सक्रिय रहती हैं. झारखंड में हुए पंचायत चुनाव में वह पंचायत समिति सदस्य चुनी गयीं. प्रीति अपनी कामयाबी का श्रेय जेएसएलपीएस और वाणी महिला मंडल को देती हैं. उन्होंने कहा कि अगर महिला समूह और जेएसएलपीएस का साथ नहीं मिलता तो वह आज भी घर का कामकाज संभालती रहतीं, लेकिन अब वह सालाना डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा कमाती हैं और ‘लखपति दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं.
ऐसे बढ़ायी जा रही है महिलाओं की आमदनी
झारखंड की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए लखपति दीदी योजना शुरू की गयी है. इसके तहत महिलाओं की सालाना आय एक लाख रुपए तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए महिलाओं को कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, हस्तशिल्प, व्यवसाय और कौशल विकास जैसे आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा जा रहा है.
सभी 24 जिलों में चल रही है महिलाओं के लिए योजना
झारखंड के सभी 24 जिलों के 264 प्रखंडों में लखपति दीदी योजना चल रही है. यहां 8.44 लाख महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य है. अब तक झारखंड में करीब साढ़े पांच लाख महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं. सखी मंडलों से जुड़ी महिलाओं को चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश निधि, बैंकिंग सुविधाएं और ब्याज छूट जैसे लाभ दिए जा रहे हैं.
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