Summer Camp: रांची के ऑड्रे हाउस में लगा क्रिएटिव समर कैंप, 250 से अधिक प्रतिभागी ले रहे प्रशिक्षण
कैंप में हिस्सा ले रहे बच्चों के अभिभावकों को भी कैंप से जोड़ा गया है. इच्छुक अभिभावकों को पारंपरिक लाेक नृत्य और आर्ट एंड क्राफ्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभिभावक रांची, ओरमांझाी, खूंटी, मांडर, रातू, अनगड़ा, टाटीसिलवे, हतमा व लातेहार से कैंप का हिस्सा बनने पहुंचे हैं.
Summer Camp in Ranchi: कला, संस्कृति व युवा कार्य विभाग शहर में कला को बढ़ावा देने में जुटा है. गर्मी की छुट्टियों को देखते हुए ऑड्रे हाउस में 15 दिवसीय कला प्रशिक्षण शिविर ‘क्रिएटिव समर कैंप‘ का आयोजन किया गया है. 25 मई से शुरू हुए कैंप में काफी संख्या में बच्चे हिस्सा ले रहे हैं. 15 दिवसीय इस कैंप में रांची व आसपास के 240 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं. जहां इन्हें कला के पांच आयाम- शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, शास्त्रीय संगीत, चित्रकला और अभिनय कौशल से परिचय कराया जा रहा है. बीते आठ दिनों के प्रशिक्षण में प्रतिभागियों के हुनर में निखार आया है. इस शिविर के जरिये प्रतिभागियों के अंदर छिपी प्रतिभा को निखारने की कोशिश की जा रही है, ताकि वह कला के क्षेत्र में आगे बेहतर कर सकें.
कैंप के बाद प्रतिभागी देंगे प्रस्तुति
कैंप में शामिल प्रतिभागियों को संगीत, नृत्य, चित्रकला व नाट्य विधा के दक्ष प्रशिक्षक प्रशिक्षण दे रहे हैं. कैंप के बाद प्रतिभागियों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जायेगी. प्रतिभागी कैंप में जो कुछ सीखे हैं, उसे पेश करेंगे. आठ जून को कैंप के समापन पर दो नाटक, एक माइम, समूह गायन, एकल प्रस्तुति, नृत्य प्रस्तुति और चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन होगा.
प्रतिभागियों का निखारा जा रहा व्यक्तित्व
कम समय में प्रतिभागी विभिन्न कला सीख सकें, इसके लिए अलग-अलग गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. बच्चों को नेम गेम, फॉलो द लीडर, म्यूजिक इंटरेक्शन, फायर इन द माउंटेन जैसे गेम्स से उन्हें खेल-खेल में कला की बारीकियां सिखायी जा रही हैं. इससे प्रतिभागियों का व्यक्तित्व निखारने का काम किया जा रहा है.
कथक व भरतनाट्यम का प्रशिक्षण
शास्त्रीय नृत्य कार्यशाला में 27 बच्चे (पांच से 18 वर्ष तक) शामिल हैं. बच्चों को कथक व भरतनाट्यम जैसी शास्त्रीय नृत्य शैली की जानकारी दी जा रही है. शास्त्रीय नृत्य की भंगिमा, मुद्रा, ताल की जानकारी दी जा रही है. बच्चों को प्रशिक्षण के जरिये दो कार्यक्रम के लिए तैयार किया जा रहा है. समापन समारोह में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में बच्चे सरस्वती वंदना और महाभारत के एक प्रसंग पर आधारित नृत्यनाटिका की प्रस्तुति देंगे.
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बच्चों ने खुद तैयार की नाटक की कहानी
नाट्य कार्यशाला में छह से 20 वर्ष के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं. इन्हें दो समूह में बांटकर बाल नाटक, पूर्णकालिक नाटक और माइम का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जूनियर ग्रुप के बच्चों ने खुद से नाटक की कहानी ‘अकबर-बीरबल’ तैयार की है. नाटक में बच्चे राजा अकबर के दरबार में कैसे बेवकूफों का स्वागत होता है को दर्शायेंगे. वहीं, अंत में राजा व बेगम खुद बेवकूफ बन जाते हैं, इसकी कहानी है. वहीं, सीनियर ग्रुप नाटक ‘गिरगिट’ का मंचन करेगा. इसमें इंसान कैसे परिस्थिति के अनुसार अपना स्वभाव बदलता है, इसे दर्शाया जायेगा. इसके अलावा एक माइम ‘थ्री डाइमेंशन ऑफ ह्यूमन जर्नी’ की प्रस्तुति दी जायेगी.
15 दिवसीय कैंप में 250 से अधिक प्रतिभागी ले रहे प्रशिक्षण
शास्त्रीय संगीत के प्रशिक्षण में चार वर्ष से लेकर 45 वर्ष के प्रतिभागी शामिल हैं. प्रतिभागियों को शास्त्रीय संगीत में अलंकार, स्वर का ज्ञान, राग देश यानी मौसम के अनुरूप गायन शैली से जोड़ा जा रहा है. प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में प्रतिभागी समापन समारोह में स्वागत गीत, एकता गीत, देशभक्ति गीत और पर्यावरण गीत की प्रस्तुति देंगे.
कैंप में हिस्सा ले रहे बच्चों के अभिभावकों को भी कैंप से जोड़ा गया है. इच्छुक अभिभावकों को पारंपरिक लाेक नृत्य और आर्ट एंड क्राफ्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभिभावक रांची, ओरमांझाी, खूंटी, मांडर, रातू, अनगड़ा, टाटीसिलवे, हतमा व लातेहार से कैंप का हिस्सा बनने पहुंचे हैं. अभिभावकों को झारखंड के पारंपरिक लोक नृत्य की जानकारी दी जा रही है. 64 प्रतिभागियों को वर्तमान में लगन के समय को देखते हुए एकहरिया डमकच और झूनटा डमकच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभिभावक मांदर, नगाड़ा और ढोल के ताल पर लोक नृत्य कर रहे हैं. आदिवासी लोकनृत्य की शुरुआत व लोक नृत्य शैलियों की भी जानकारी दी जा रही है.
ये हैं प्रशिक्षक
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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नयी दिल्ली के बाल नाट्य विशेषज्ञ संजय लाल और उनके सहयोगी मुन्ना लोहार बच्चों को नाट्यकला के विभिन्न आयामों से परिचय करा रहे हैं.
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पार्श्व गायिका डॉ मृणालिनी अखौरी और पाठक घराने से ताल्लुक रखने वाले तबला वादक संजीव पाठक बच्चों को शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
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भरतनाट्यम विशेषज्ञ खुशबू कुमारी और कथक नृत्य विशेषज्ञ बबली कुमारी बच्चों को शास्त्रीय नृत्य की आधारभूत बारीकियों से परिचय करा रही हैं.
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वरिष्ठ चित्रकार गौतम बक्शी और उनकी सहयोगी अंजलि चक्रवर्ती बच्चों को पेंसिल स्केच से लेकर बेकार सामग्री से सजावटी सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
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मनपूरण नायक व उनके सहयोगी दीनबंधु ठाकुर व शत्रुघ्न नायक अभिभावकों को झारखंड के लोक नृत्य से परिचय करा रहे हैं.
प्रशिक्षण ले रहे बच्चों ने कहा
बीते आठ दिनों में वाटर कलर से परिचय हुआ. साथ ही बेकार पड़े पेपर से फूल व गुलदस्ता बनाना सीखा हूं.
– प्रिंस कुमार महतो, गुंदली पोखर
मां ने कैंप से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. बड़ी होकर एक्ट्रेस बनना चाहती हूं. इसलिए नाट्य कार्यशाला से जुड़ी.
– प्रियांशी सक्सेना, बीआइटी मेसरा
नाटक की कहानी से परिचित था. अब इसमें सुधार किया गया है. सिपाही की भूमिका मिली है, जो खास किरदार है.
– लक्की, सपारोम
पेंटिंग सह आर्ट एंड क्राफ्ट से 65 लोग जुड़े
कैंप में पेंटिंग सह आर्ट एंड क्राफ्ट कार्यशाला से 65 प्रतिभागी जुड़े हैं. इन्हें बेसिक पेंटिंग से लेकर एडवांस पेंटिंग की शैली- सोहराई, मधुबनी, एक्रेलिक व देश की अन्य लोक चित्रकला से परिचय कराया जा रहा है. वहीं, आर्ट एंड क्राफ्ट में बच्चों को बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इससे बच्चों को रीयूज, रिड्यूज और रिसाइकिल यानी बेकार पड़े समान से सजावटी सामग्री तैयार करना सिखाया जा रहा है.