Supreme Court ने झारखंड नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मामले को लेकर मुख्य सचिव को जारी किया नोटिस
झारखंड नगर निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमाननावाद याचिका दायर किया था. इसी के आलोक में नोटिस जारी किया है.
Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने झारखंड नगर निकाय चुनाव (Jharkhand Municipal Elections) में ओबीसी (OBC) आरक्षण मामले को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की ओर से अवमाननावाद याचिका दायर की गयी थी. इसी के आलोक में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच ने नोटिस जारी किया है. इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2023 को निर्धारित की गयी है.
झारखंड कैबिनेट में नगर निकाय चुनाव हुआ था पारित
मालूम हो कि गत झारखंड कैबिनेट ने गत 10 अक्टूबर,2022 की बैठक में बिना ओबीसी आरक्षण के ही नगर निकाय चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित किया था. कैबिनेट सचिव के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश के आलोक में नगरपालिका निर्वाचन-2023 की स्वीकृति प्रदान की. इस आदेश में नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने की बात कही गयी. लेकिन, राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की जगह पिछड़ा वर्ग को अनारक्षित श्रेणी माना और इसी के आधार पर चुनाव कराने की बात कही.
13 जनवरी, 2023 को होगी अगली सुनवाई
ओबीसी को आरक्षण देने के मामले में ट्रिपल टेस्ट को आधार बनाते हुए गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमाननावाद याचिका दायर की. इसी के आलोक में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया. इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 जनवरी, 2023 को होगी.
फिलहाल नगर निकाय चुनाव टला
दूसरी ओर, झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (Tribal Advisory Council- TAC) की बैठक में अनुसूचित क्षेत्र के नगर निकाय चुनाव में एकल पद आरक्षित रखने के लिए पुराने प्रावधान को यथावत रखने की अनुशंसा केंद्र सरकार से करने का निर्णय लिया गया. इस निर्णय के साथ ही फिलहाल राज्य में निकाय चुनाव टलने के आसार बढ़ गये. इस बैठक में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में एकल पद आरक्षण को लेकर इस मामले में महाधिवक्ता से विधि परामर्श लिया जाएगा, क्योंकि अब तक पंचायतों में पेसा कानून के तहत ही चुनाव हो रहे हैं. पेसा कानून में कोई संशोधन नहीं किया गया है.
रिपोर्ट : दिल्ली ब्यूरो.