रामविनोद सिन्हा को बेल, पूजा सिंघल के मामले पर फैसला 29 अप्रैल को
रामविनोद सिन्हा और पूजा सिंघल की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की अदालत में सुनवाई हुई.
रांची : सुप्रीम कोर्ट ने मनरेगा घोटाले में खूंटी के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर रामविनोद सिन्हा को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. साथ ही पूजा सिंघल के मामले में 29 अप्रैल को सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की है. न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने दोनों की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
रामविनोद सिन्हा और पूजा सिंघल की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की अदालत में सुनवाई हुई. पूजा सिंघल की ज़मानत पर सुनवाई के दौरान उनके वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाए, क्योंकि वह 585 दिन से जेल में बंद है. इतना सुनने के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि यह साधारण मामला नहीं है. उन पर गंभीर आरोप हैं. वह पिछले कई महीनों से अस्पताल में हैं. उन्हें और इंतज़ार करना होगा. इसके बाद न्यायालय ने इडी को निर्देश दिया कि वह शपथ पत्र दायर कर इस बात की जानकाारी दें, कि पूजा सिंघल कितने दिनों तक जेल में रही हैं. कितने दिनों तक अंतरिम ज़मानत पर थीं और कितने दिनों से रिम्स में हैं. इस निर्देश के साथ ही अदालत ने पूजा सिंघल की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तिथि निर्धारित की.
अदालत ने खूंटी के राम विनोद सिन्हा के मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि वह पांच साल से अधिक समय तक जेल में रह चुका है. मनी लाउंड्रिंग के आरोप में वह तीन साल नौ महीने से जेल में है. इस स्थिति को देखते हुए उसे ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया. साथ ही ट्रायल कोर्ट को जमानत की शर्तें निर्धारित करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने राम विनोद सिन्हा को निर्देश दिया कि वह ट्रायल के दौरान सुनवाई की हर तिथि पर अदालत में उपस्थित रहे. सुनवाई के समय अनुपस्थित रहने के लिए सक्षम अदालत से अनुमति लेनी होगी. वह अपना एक फोन नंबर जांच अधिकारी को देगा, ताकि उसके पता-ठिकानों की जानकारी मिलती रहे.