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असिस्टेंट टाउन प्लानर परीक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट का झारखंड हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

जेपीएससी ने सर्टिफिकेट जमा करने की छूट देते हुए 186 अयोग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल कर लिया, जो अनुचित था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी देवास्मिता बासु ने एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

रांची : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की असिस्टेंट टाउन प्लानर प्रतियोगिता परीक्षा के मामले में झारखंड हाइकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने मामले में दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई के बाद प्रार्थी को राहत देने से इनकार कर दिया. साथ ही एसएलपी को खारिज करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के 16 सितंबर 2023 के फैसले को बरकरार रखा.

प्रतिवादी स्वप्निल मयूरेश व विवेक हर्षिल की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ रंजन और आभास परिमल ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि जेपीएससी ने असिस्टेंट टाउन प्लानर प्रतियोगिता परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि 10 अगस्त 2020 के बाद 186 अभ्यर्थियों से इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानिंग (इंडिया) का सर्टिफिकेट जमा करने के लिए छूट दी थी, जो पूरी तरह से गलत व असंवैधानिक थी. नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में जेपीएससी को छूट देने का अधिकार नहीं है. नियुक्ति के मामले में जेपीएससी ने गलत निर्णय लिया था. आवेदन की अंतिम तिथि तक सर्टिफिकेट जमा करनेवाले योग्य अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए था, लेकिन जेपीएससी ने सर्टिफिकेट जमा करने की छूट देते हुए 186 अयोग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल कर लिया, जो अनुचित था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी देवास्मिता बासु ने एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.

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